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बीजेपी की चाल से वाकिफ जेडीयू जुट गया है नीतीश का चेहरा चमकाने में .प्रशांत किशोर हैं रणनीतिकार

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सूत्रों के अनुसार इसबार बिहार में बीजेपी लोक सभा चुनाव में नीतीश कुमार की जगह नरेन्द्र मोदी के चहरे पर वोट मांगने की तैयारी में है.अगर सफलता मिल गई तो इसी को आधार बनाकर बीजेपी आगामी विधान सभा चुनाव में भी नीतीश की जगह मोदी को अपना चुनावी चेहरा बनाने की कोशिश करेगी  ताकि नीतीश कुमार की सीएम पद की दावेदारी कमजोर हो सके.जेडीयू को ये बात समझ में आ गई है.इसलिए जेडीयू की तरफ से अभी से नीतीश कुमार के चहरे को चमकाने की कवायद शुरू कर दी गई है.रणनीति बना रहे हैं जानेमाने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर .पेश है एक विशेष रिपोर्ट 

सिटी पोस्ट लाईव :आखिर चुनाव से इतना दिन पहले जेडीयू ने क्यों उठा दिया चुनावी चहरे का सवाल ? अभी से क्यों शुरू कर दी 25 सीटों की मांग ? क्या है इसके पीछे की रणनीति ? ये तमाम सवाल सबके जेहन में उठ रहे हैं. तो अब जबाब जान लीजिये.ये सबकुछ एक सोंची समझी रणनीति के तहत हो रहा है.यह रणनीति बनानेवाला कोई और नहीं बल्कि प्रशांत किशोर हैं जिन्होंने पिछले विधान सभा चुनाव में नीतीश कुमार की जीत में अहम् भूमिका निभाई थी.जेडीयू ने अभी से बीजेपी पर प्रशांत किशोर की सलाह के अनुसार दबाव बना शुरू किया है.खबर है कि हाल के दिनों में एक  राजनीतिक रणनीतिकार के तौर पर उभरे प्रशांत किशोर एक बार फिर नीतीश कुमार के लिए चुनावी रणनीति बनाने में जुट गए हैं.

प्रशांत किशोर की रणनीति का एक अहम् हिस्सा है जेडीयू द्वारा अभी से एनडीए में सीटों के तालमेल और नीतीश के नेतृत्व को लेकर मुखरता से बीजेपी पर दबाव बनाना . प्रशांत किशोर ने जेडीयू नेताओं को नीतीश कुमार के चेहरे की चमक तेज करने को लेकर सुझाव दिए हैं.गौरतलब है कि 2015 बिहार विधान सभा चुनाव में प्रशांत किशोर द्वारा तैयार चुनावी स्लोगन  ‘बिहार में बहार है नीतीशे कुमार है’  है काफी सुर्खियों में रहा था.सूत्रों के अनुसार प्रशांत कुमार अबतक नीतीश कुमार के साथ दोबार बैठकें कर चुके हैं.एक बैठक दिल्ली में तो दूसरी बैठक पटना में.

2014 के लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर नरेंद्र मोदी की टीम में थे. बीजेपी की जीत के लिए रणनीति तैयार की. बताया जाता है कि प्रशांत किशोर ‘चाय पर चर्चा’ की रणनीति के अहम हिस्सेदार रहे, लेकिन सरकार गठन के बाद उनके अमित शाह के साथ मतभेद उभरे और साल भर बाद 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर, नीतीश कुमार के लिए रणनीति तैयार करने लग गए.प्रशांत किशोर की रणनीति का नीतीश कुमार को फायदा हुआ और लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त झेल चुके नीतीश कुमार ने अपनी खोई हुई जमीन हासिल की. लालू प्रसाद और कांग्रेस के साथ नीतीश कुमार ने भारी बहुमत के साथ एनडीए पर जीत दर्ज की.

बीजेपी और नीतीश कुमार के अलावा पंजाब में कांग्रेस की जीत में भी प्रशांत किशोर की रणनीति काम आई. पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए काम करने के दौरान प्रशांत किशोर ने पटना छोड़ दिया. सूत्रों के मुताबिक प्रशांत किशोर महागठबंधन टूटने को लेकर नाराज थे.सूत्रों का कहना है कि पंजाब में अमरिंदर सिंह को सीएम की कुर्सी तक पहुंचाने के बाद अप्रैल में पटना लौटने पर प्रशांत किशोर कुछ घंटे ही नीतीश कुमार के आवास पर रुके. फिलहाल प्रशांत किशोर आंध्रप्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगन मोहन रेड्डी के साथ काम कर रहे हैं और उनकी टीम अभी वहीं कैंप कर रही है.

साल 2015 में राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और जनता दल यूनाइटेड को मिलाकर महागठबंधन बनवाने में भी प्रशांत किशोर ने अहम भूमिका निभाई थी. 2015 के विधानसभा चुनाव में जीत मिलने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर को राज्य मंत्री का दर्जा दिया था लेकिन महागठबंधन टूटने और बीजेपी के साथ नई सरकार बनाने के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था.प्रशांत किशोर इसको लेकर नाराज थे.लेकिन अब नीतीश कुमार ने उन्हें फिर से अपने लिए काम करने के लिए तैयार कर लिया है.

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