सिटी पोस्ट लाइव : नीतीश कुमार मोदी कैबिनेट में अनुपातिक हिस्सेदारी की मांग करते रहे हैं. इसी मांग को लेकर उनकी पार्टी पिछली बार मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुई थी. लेकिन इसबार क्यों एक ही मंत्री पद मिलने से नीतीश कुमार संतुष्ट हो गये. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि नीतीश कुमार ने पशुपति पारस को मोदी मंत्रिमंडल में जगह दिलवा कर चिराग पासवान से विधान सभा चुनाव का हिसाब किताब बराबर कर लिया है.यहीं कारण है कि जिस एक मंत्रिपद को 2019 में नीतीश ने सांकेतिक बताकर मोदी सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया था, वही सांकेतिक पद दो साल बाद उन्हें क्यों कबूल हो गया?
केंद्र की मोदी सरकार के कैबिनेट विस्तार के बाद चर्चा इसी बात की है कि चिराग को दूसरा झटका देने के लिए नीतीश ने अपनी मांगों की कुर्बानी दे दी. दरअसल जैसे ही पशुपति पारस को केंद्र सरकार में शामिल करने का फैसला लिया गया उसी वक्त नीतीश ने चिराग को दूसरा झटका दे दिया. LJP सांसद होने के नाते पशुपति पारस को केंद्र सरकार में बतौर खाद्य प्रसंस्करण मंत्री शामिल कर लिया गया. पारस को केंद्र सरकार में शामिल करने का सीधा मतलब था कि बीजेपी उनकी अगुवाई वाली LJP को कबूल कर चुकी है. नीतीश भी तो यही चाहते थे. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में चिराग के हाथों 20 से ज्यादा सीटों पर चोट खा चुके नीतीश कुमार बदला चाहते थे. लेकिन चिराग खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताकर उनके सामने एक ढाल खड़ी कर देते थे.
एक तरह से एलजेपी सांसद पशुपति कुमार पारस को कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल करने और उन्हें खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय का प्रभार देने का पीएम नरेंद्र मोदी का फैसला चिराग पासवान के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ. वो भी तब जब चिराग ये कहते आ रहे थे कि वो पीएम मोदी के हनुमान हैं. पारस के मोदी सरकार में शामिल होने को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एक और जीत के रूप में ही देखा जा रहा है.चिराग पासवान के मामले में अगर नीतीश को भी बिहार की सियासत का बाजीगर कहा जाए तो गलत न होगा. भले ही उनकी तीन मंत्रियों वाली मांग बीजेपी ने नहीं मांगी लेकिन नीतीश पारस के मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद चिराग को ‘दूसरा’ झटका तो दे ही चुके .
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