रांची: निजी स्कूल की मनमानी के खिलाफ झारखंड अभिभावक संघ द्वारा पूर्व घोषित “सात वार-सात गुहार“ कार्यक्रम का शुभारंभ गुरुवार को किया गया। इसके तहत रांची के उपायुक्त कार्यालय के समक्ष अभिभावक संघ ने मौन प्रदर्शन किया। इस अवसर पर झारखंड अभिभावक संघ के अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि वर्तमान में राज्य का हर तबका वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान आर्थिक तंगी से गुजर रहा है।
लोगों की आमदनी कम गई है। काफी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए हैं। ऐसी आर्थिक अस्थिरता के दौर में अभिभावकों के समक्ष गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। महंगाई और बेरोजगारी का दंश झेलने को अभिभावक विवश हो गए हैं। घर खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है, वहीं, निजी स्कूलों द्वारा शिक्षण शुल्क के अलावा हर प्रकार के फीस जमा करने के फरमान से अभिभावक परेशान हैं। निजी स्कूल प्रबंधन मनमानी पर उतर आये हैं। ये न तो राज्य सरकार के आदेश को मान रहे हैं और न ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश को। निजी स्कूल संचालक बिना फीस लिए न तो रिजल्ट दे रहे हैं और न ही छात्रों को ऑनलाइन क्लास की अनुमति दी जा रही है।
नए शैक्षणिक सत्र में कहीं 12 प्रतिशत तो कहीं 35 प्रतिशत तक फीस बढ़ोतरी कर दी गई है।एनुअल चार्ज, बिल्डिंग चार्ज, मिसलिनियस चार्ज, कंप्यूटर चार्ज, गेम्स चार्ज, सिक्यूरिटी चार्ज, सीसीटीवी चार्ज, स्कूल चार्ज, एसएमएस चार्ज, मेडिकल चार्ज, , डेवलपमेंट चार्ज आदि के नाम पर अभिभावकों से मोटी रकम वसूली जा रही है। इस संबंध में झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण का आदेश भी बेअसर है। निजी स्कूल प्रबंधन सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप अभिभावकों को कोई राहत नहीं दे रहे हैं। श्री राय ने कहा कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान सत्र 2020-21 के लिए फीस वृद्धि पर राज्य सरकार ने रोक लगा दी थी।
सरकार ने आदेश दिया था कि जब तक स्कूल नहीं खुलेगा, तब तक केवल ट्यूशन फीस ही लेनी है। मासिक ट्यूशन फीस में भी वृद्धि नहीं करनी है। यह निर्देश उन स्कूलों के लिए था, जो ऑनलाइन क्लास चला रहे थे। जो स्कूल ऑनलाइन कक्षाएं संचालित नहीं कर रहे हैं, उन्हें ट्यूशन फीस भी नहीं लेनी है। लेकिन नये सत्र 2021-22 के लिए सरकार ने इस तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया, जबकि स्कूल अब भी नहीं खुले हैं और ऑनलाइन कक्षाओं का ही संचालन हो रहा है। इसका अनुचित लाभ स्कूल प्रबंधन उठा रहा है।
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