सिटी पोस्ट लाइव :लोक जनशक्ति पार्टी में चाचा पशुपति कुमार पारस (Pashupati Kumar Paras) और भतीजे चिराग पासवान (Chirag Paswan) अपनी अपनी ताकत दिखाने में जुटे हैं.5जुलाई को रामविलास पासवान की जयंती पार्टी दफ्तर में पशुपति पारस मनाने के बहाने अपनी ताकत दिखायेगें वहीँ उसी दिन चिराग पासवान पशुपति पारस के लोक सभा क्षेत्र हाजीपुर में आशीर्वाद यात्रा की शुरुवात करेगें.गौरतलब है कि एलजेपी की सियासी लड़ाई चुनाव आयोग में लंबित है. चुनाव आयोग (Election Commission) के सूत्रों के अनुसार LJP आज भी चिराग पासवान की है. ऐसा तब है जब सांसद पशुपति पारस की तरफ से अपने आप को लोकसभा में संसदीय दल का नेता घोषित कर दिया है. यही नहीं पारस ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन कर खुद को अध्यक्ष भी घोषित किया हुआ है. बावजूद इसके चुनाव आयोग से जो खबर सामने आ रही है उसके अनुसार आज की तारीख में एलजेपी अब भी चिराग पासवान की ही है.
चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार अभी तक पारस गुट की तरफ से लोक जनशक्ति पार्टी पर या फिर लोजपा के चुनाव चिन्ह बंगले पर कोई दावा नहीं किया गया है. ऐसे में चुनाव आयोग लोजपा पर किसी दूसरे गुट की तरफ से बिना दावा किएउसका अधिकार नहीं मान सकता है. पशुपति पारस गुट की तरफ से किए गए तमाम फैसलों की जानकारी तो चुनाव को जरूर दी गई, लेकिन अब तक कोई भी प्रतिनिधिमंडल पारस गुट की तरफ से चुनाव आयोग से न तो मिला है और न ही पार्टी के चुनाव चिन्ह और पार्टी पर दावे को लेकर चुनाव आयोग से सुनवाई की मांग की गई है. ये जानकारी किसी पार्टी पर अधिकार या दावे पर सुनवाई के लिये काफी नहीं है.
दूसरी तरफ एलजेपी के अध्यक्ष चिराग पासवान चुनाव आयोग से पहले ही मिल चुके हैं. आयोग से गुहार भी लगा चुके हैं कि अगर किसी की तरफ से एलजेपी पर दावा किया जाता है तो उसे प्रथम दृष्टया खारिज किया जाए. अगर चुनाव को कोई फैसला भी करना है तो पहले चिराग पासवान का पक्ष सुना जाए.
दरअसल हाल ही में एलजेपी के 6 सांसदों में से 5 ने चिराग पासवान के खिलाफ बगावत कर लोकसभा में संसदीय दल के नेता के तौर पर पशुपति कुमार पारस के चयन का दावा कर दिया था. इसे स्पीकर की भी मंजूरी मिल चुकी है. इसके अलावा पारस गुट ने नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन करके खुद को पार्टी का अध्यक्ष भी बनवा लिया. वहीं, चिराग पासवान ने भी एलजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बुलाकर पारस गुट के फैसलों को पार्टी विरोधी गतिविधि बताकर खारिज कर दिया है. बहरहाल मामले में सच क्या है और चुनाव आयोग आधिकारिक तौर पर क्या फैसला सुनाता है, इसके लिए तो इंतजार करना होगा.
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