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बिहार में टीका एक्सप्रेस का गड़बड़झाला, वैक्सीन की जगह पैसेंजर्स ढो रहे सरकारी वाहन

17 दिन में 40 गाड़ियों से सिर्फ 3,198 लोगों को लगा टीका; 1.36 लाख का था टारगेट.

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में कोरोना वैक्सीनेशन के नाम बिहार में गड़बड़झाला चल रहा है. बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग में टीकाकरण को ग्रामीण ईलाकों में रफ़्तार देने के लिए 121 टीका एक्सप्रेस की शुरुवात की थी. 3 जून को बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने प्रदेश में 121 गाड़ियों को विशेष टीकाकरण अभियान के लिए रवाना किया था. यूनिसेफ ने 40 और केयर इंडिया ने 81 गाड़ियां इस विशेष मुहिम में लगाई है. हर गाड़ी पर दो-दो कर्मियों को भी लगाया गया है.लेकिन सच्चाई यहीं है कि इस बड़े मिशन के बाद पटना में वैक्सीनेशन की रफ्तार सुस्त पड़ गई है. पटना में लगी 40 गाड़ियों को एक दिन में 8000 वैक्सीनेशन करना था और 17 दिनों में यह टारगेट 1.36 लाख हुआ, लेकिन अब तक मात्र 3198 टीकाकरण ही हो पाया है.

सरकार ने शहरी क्षेत्र के सभी वार्डों में शत प्रतिशत वैक्सीनेशन के लिए टिका एक्सप्रेस की शुरुवात की थी.पटना में 40 गाड़ी को लगाया गया, लेकिन वैक्सीनेशन की हकीकत सामने आ गई है. 17 दिन में टीका एक्सप्रेस ने मात्र 3198 लोगों का टीकाकरण किया गया. इसमें पहला डोज लेने वालों की संख्या 2966 है और दूसरा डोज लेने वालों की संख्या मात्र 232 है. 40 टीम लगाने के बाद भी वैक्सीनेशन को टीका एक्सप्रेस से रफ्तार नहीं मिल पाई है. सरकार ने हर गाड़ी को एक दिन में 200 वैक्सीनेशन का लक्ष्य दिया था. ऐसे में पटना में 17 दिनों में 1.36 लाख लोगों को टीका लगाना था. अगर गाड़ियों का अभियान रफ्तार पकड़ाहोता तो वैक्सीनेशन की संख्या काफी अधिक हो जाती.

टिका एक्सप्रेस के लिए गाड़ियाँ किराए पर ली गई हैं.सरकार किराया तो दे रही है लेकिन किराया लेनेवाले टिका एक्सप्रेस का इस्तेमाल टिकाकरण में करने के बजाय उनका इस्तेमाल दूसरे काम में किया जा रहा था.टिका एक्सप्रेस में परिवार को ढ़ोने का विडियो भी सोशल मीडिया में वायरल हो चुका है. जाहिर है टिका एक्सप्रेस का ठेका लेनेवालों की चांदी है, उन्हें सरकार भी पैसा दे रही है और वो उन गाड़ियों का इस्तेमाल याति ढ़ोने में कर रहे हैं.डबल कमाई के चक्कर में टिका के काम में लगी टिका एक्सप्रेस की वजह से सरकार का टिका करण अभियान भी खतरे में पड़ गया है.

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