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पार्टी तोड़कर संकट में खुद फंस गये हैं पारस, कोर वोटर दे रहे चिराग का साथ

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सिटी पोस्ट लाइव : चिराग पासवान अभी राजनीति के अग्नि परीक्षा से जूझ रहे हैं.अगर इस परीक्षा में वो सफल हुए तो बगावत करनेवाले उनके चाचा पशुपति पारस की राजनीति ख़त्म हो जायेगी. अगर चिराग पासवान (chirag paswan) फेल हुए तो उनके लिए अपने पिता के राजनीतिक विरासत को संभालना आसान नहीं होगा. अभीतक चिराग पासवान काफी समझदारी से हर कदम बढाते हुए दिख रहे हैं. चिराग अपने पिता की विरासत को बचाने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं.उन्होंने आज पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है,

अपने दिवंगत पिता के जन्मदिन को लेकर भी उन्होंने बड़ी तैयारी शुरू कर दिया है. रामविलास पासवान का जन्मदिन पांच जुलाई को मनाया जाता है. जिसके लिए जल्द ही चिराग के पटना आने की बात कही जा रही है। यह पहली बार होगा कि चिराग अपने पिता का जन्मदिन उनके बगैर मनाएंगे.बताया जा रहा है कि जिस तरह से चाचा पशुपति ने अपने सांसदों के साथ मिलकर चिराग को पार्टी से लगभग बाहर का रास्ता दिखा दिया है. उसके बाद अब चिराग पासवान अपने पिता स्व. रामविलास पासवान के जन्मदिन के अवसर पर बिहार में लोजपा के संघर्ष यात्रा शुरू करने की योजना शुरू करने की योजना बना रहे हैं. इस संघर्ष यात्रा का मुख्य उद्देश्य पिता के द्वारा तैयार पार्टी के जनाधार को अपने साथ बरकरार रखना है.

चाचा पशुपति पारस ने जिस तरह धोखे से चिराग को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाया है पार्टी कार्यकर्ताओं में आक्रोश है.पार्टी के कार्यकर्त्ता और कोर वोटर चिराग के साथ खड़े नजर आ रहे हैं. वो चिराग को ही पासवान का वारिश मान रहे हैं. चाचा पशुपति पारस भले ही लोजपा के अध्यक्ष पद की कुर्सी हथियाने में सफल हो गए हों, लेकिन बिहार में उनका अपना कोई जनाधार नहीं है, न उन्हें रामविलास या चिराग जैसी लोकप्रियता हासिल है. चिराग के साथ जिस तरह का सलूक उन्होंने किया है, उसके बाद उनकी राजनीति खतरे में पड़ गई है.वो कईबार विधायक रहे हैं और अब सांसद हैं लेकिन इसका श्रेय chirag के पिता को ही जाता है.

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