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जितिन प्रसाद BJP में शामिल, क्या उत्तर प्रदेश में उनके आने से मज़बूत होगी बीजेपी?

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सिटी पोस्ट लाइव : कांग्रेस छोड़कर बुधवार को दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेने वाले उत्तर प्रदेश के नेता जितिन प्रसाद ने कहा कि उनका कांग्रेस से तीन पीढ़ियों का साथ रहा है. काफी विचार के बाद वो इस फैसले पर पहुंच पाए हैं .उन्होंने कहा कि सवाल ये नहीं है कि मैं किस दल को छोड़कर जा रहा हूं. सवाल ये है कि मैं किस दल में जा रहा हूं और क्यों जा रहा हूं?उन्होंने कहा, “मैंने आठ-दस साल से महसूस किया है कि अगर आज कोई असली मायने में राजनीतिक दल है, जो संस्थागत है तो वो भारतीय जनता पार्टी है. बाकी दल तो व्यक्ति विशेष या क्षेत्रीय हैं. राष्ट्रीय दल के नाते भारतीय जनता पार्टी ही है.”

जितिन प्रसाद की गिनती कांग्रेस के कद्दावर युवा नेताओं में होती थी. पिता की राजनीतिक विरासत संभालने वाले जितिन प्रसाद केंद्र की मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे थे. उन्हें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का क़रीबी माना जाता था.योगी आदित्यनाथ ने ट्विटर पर लिखा, “कांग्रेस छोड़कर भाजपा के वृहद परिवार में शामिल होने पर श्री जितिन प्रसाद जी का स्वागत है. श्री जितिन प्रसाद जी के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने से उत्तर प्रदेश में पार्टी को अवश्य मजबूती मिलेगी.”भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के पहले जितिन प्रसाद ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात की और प्रेस कॉन्फ्रेंस में शाह को ‘कर्मयोगी’ बताया. शाह ने भी कहा कि प्रसाद के आने से पार्टी मजबूत होगी.

अमित शाह ने ट्विटर पर लिखा, “मुझे पूर्ण विश्वास है कि उनके पार्टी में शामिल होने से उत्तर प्रदेश में भाजपा के जनसेवा के संकल्प को और मजबूती मिलेगी.जितिन प्रसाद को बीजेपी की सदस्यता दिलाने वाले पीयूष गोयल ने भी जितिन प्रसाद के मंत्री के रूप में अनुभव और कामकाज की सराहना की.लेकिन, सवालों के बीच ये भी पूछा जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी जितिन प्रसाद को जितना कद्दावर बता रही है, क्या वाकई आज की तारीख़ में वो उत्तर प्रदेश की राजनीतिक ज़मीन पर उतना असर रखते हैं?जितिन प्रसाद के पिता जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के बड़े नेता रहे हैं. जितिन ने उनकी विरासत को भी ही संभाला है. उन्होंने 2004 और 2009 में लगातार दो बार लोकसभा चुनाव जीता.लेकिन उसके बाद से चुनावी राजनीति में वो कोई करिश्मा नहीं कर पाए हैं.

जितिन प्रसाद ने ख़ुद बताया है कि उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का फ़ैसला बहुत सोच विचार के बाद लिया है और ये कांग्रेस में उनके हालिया कदम से जाहिर भी होता है.जितिन प्रसाद किसी वक़्त राहुल गांधी की टीम के प्रमुख सदस्य माने जाते थे लेकिन बीते कुछ समय से वो पार्टी नेतृत्व से लगातार दूरी बनाए हुए थे. कांग्रेस में नेतृत्व पर सवाल उठाने वाले जी-23 समूह में जितिन भी शामिल थे.उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव करीब हैं. चुनाव फरवरी 2022 में हो सकते हैं. लोकसभा चुनाव अभी तीन साल दूर हैं. ऐसे में जितिन प्रसाद के लिए विधानसभा चुनाव ही प्रदेश की राजनीति में ख़ुद को जमाए रखने का अच्छा मौका हो सकता है.

कांग्रेस में जितिन प्रसाद कद्दावर नेता रहे हैं लेकिन फिलहाल प्रदेश में पार्टी की स्थिति बेहद ख़राब है. कांग्रेस उत्तर प्रदेश में सिर्फ़ रायबरेली तक सिमट गई है. विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस से किसी चमत्कार की उम्मीद नहीं की जा रही है.ऐसे में जितिन प्रसाद का बीजेपी के साथ जुड़ना अपनी राजनीतिक ज़मीन बचाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. जितिन प्रसाद इसे ‘नए भारत के निर्माण में योगदान’ बता रहे हैं.बीजेपी की सदस्यता लेते समय उन्होंने कहा, “कोई दल और कोई नेता मजबूती के साथ देशहित में खड़ा है तो वो नरेंद्र मोदी हैं. हम जानते हैं कि उनके प्रति देश की भावना क्या है. वो जो नए भारत का निर्माण कर रहे हैं, उसमें छोटा सा योगदान करने का मौका मिलेगा.”

बीजेपी में बीते करीब आठ साल से सबसे बड़ा चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है. उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के अगुवा हैं और कुछ हफ़्तों से उनके और प्रधानमंत्री के समीकरणों को लेकर सवाल उठ रहे हैं.उत्तर प्रदेश में बीजेपी के पास कई और बड़े नेता भी हैं. ऐसे में जितिन प्रसाद को कितनी प्रभावी भूमिका पार्टी में मिलती है, ये आगे ही पता चलेगा.फिलहाल बीजेपी को इतना फायदा ज़रूर हुआ है कि अगले कुछ दिन उससे ज़्यादा सवाल कांग्रेस और उसके नेतृत्व से पूछे जाएंगे.

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