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दवा के अभाव से खतरे में है सैकड़ों ब्लैक फंगस मरीजों की जान.

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सिटी पोस्ट लाइव :एक तरफ बिहार सरकार ब्लैक फंगस से निबटने के लिए बड़े बड़े एलान कर रही है.इस बीमारी से ग्रसित लोगों के ईलाज पर 5 लाख रूपये तक खर्च करने का एलान कर चुकी है लेकिन सच्चाई ये है कि दवा और उचित ईलाज के अभाव में ब्लैक फंगस से पीड़ित लोगों की जान खतरे में है.इस बीमारी की दवा पूरी तरह से खत्म हो गई है. न एम्स में भर्ती मरीजों को इंजेक्शन मिल रही है और न ही आईजीआईएमएस में. पीएमसीएच में भी सोमवार से यह दवा उपलब्ध नहीं है. निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के लिए भी दवा उपलब्ध नहीं है.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार अभी दवा आने में एक से दो दिनों का समय लगेगा. अगर सोमवार को दवा नहीं मिलती है, तो मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है.वर्तमान में एम्स में ब्लैक फंगस से पीड़ित 108 मरीज भर्ती हैं.आईजीआईएमस में 125, पीएमसीएच में 28, एनएमसीएच में 11 और निजी अस्पतालों में 100 से अधिक मरीज भर्ती हैं. अब भर्ती मरीजों को विकल्प के रूप में पोशाकोना जोल टैबलेट देने की तैयारी है. एक टैबलेट की कीमत 500 है और प्रतिदिन एक मरीज को तीन टैबलेट देनी पड़ती है. पहले इंजेक्शन के रूप में एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन दी जा रही थी.

आईजीआईएमएस में तीन नए मरीज भर्ती हुए हैं. पांच मरीजों की मौत हुई .। यहां ब्लैक फंगस के भर्ती मरीजों की संख्या 125 हो गई है.पीएमसीएच में 9 नए मरीज भर्ती हुए हैं. यहां 28 मरीज भर्ती हैं. अस्पताल सूत्रों का कहना है कि इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं होने से मरीज एम्स या फिर आईजीआईएमएस में चले जा रहे हैं. एनएमसीएच में दो नए मरीज भर्ती हुए है. यहां 11 मरीज भर्ती हैं.मरीजों के परिजनों का कहना है कि यह दवा बाज़ार में उपलब्ध नहीं है.अस्पताल के पास भी नहीं है.ऐसे में उनके परिजनों की जान खतरे में है.

डॉक्टर भी लाचार दिख रहे हैं.उनका कहना है कि दवा उपलब्ध नहीं रहेगी तो वो कैसे लोगों की जान बचायेगें. बिना दवा इलाज कैसे होगा? जिस मरीज को दवा दी जाती है, उसे प्रतिदिन पांच डोज देनी पड़ती है.एक-एक डोज देने से कम नहीं चलेगा. दवा जिस तरह से उपलब्ध हो रही है, उसके मुताबिक पहले गंभीर मरीज को प्राथमिकता दी जा रही है.

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