सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस के केस बढ़ने से देश का स्वास्थ्य महकमा काफी सतर्क हो गया है और आम लोगों को जागरूक करने में जुट गया है. बिहार में भी इसका असर दिखाई देने लगा है । इससे कई संक्रमित लोगों की जान भी चली गई है। पटना की मशहूर दंत चिकित्सक शुभम कुमारी की मानें तो यह बीमारी का इलाज संभव है। उन्होंने बताया कि यह संक्रमण आंख, नाक और जबड़ा की हड्डी को नष्ट कर देता है।
उन्होंने कहा की मरीज के दिमाग में जाने के बाद मरीज को बचाने में मुश्किल होती है। डॉक्टर शुभम ने बताया कि इस संक्रमण का समय पर पहचान होता है तो उसका बेहतर इलाज से उसे बचाया जा सकता है। ऐसे संक्रमण का शिकार हुए मरीज की पहचान नाक में सूजन, दर्द, दांतो का अचानक हिलना, आंखो में लालीपन जैसे लक्षण दिखे तो तुरंत संबंधित डॉक्टर से दिखाना चाहिए और इलाज शुरू कर देना चाहिए।
उन्होंने आगे बताया कि संक्रमित मरीज समय रहते हुए इसका इलाज समय पर कराता है तो इसको ठीक भी किया जा सकता हैं। उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस करोना से ठीक हुए मरीजों को होता है खासकर जो मधुमेह जैसे बीमारी से ग्रस्त होते है। ब्लैक फंगस वातावरण में मौजूद है. खासकर मिट्टी में इसकी मौजूदगी ज्यादा होती है. यह स्वस्थ और मजबूत इम्यूनिटी वाले लोगों पर अटैक नहीं कर पाता है और जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है उन्हें यह अपना शिकार बनाता है. इस बीमारी से मरीजों के आंख की रोशनी चली जाती है।
ये यह बीमारी वैसे लोगों पर ज्यादा अटैक करता है, जिन मरीजों को शुरुआत में ही स्टेरॉइड्स दिए गए. स्टेरॉइड्स की बहुत ज्यादा डोज दिए जाने पर भी मरीज को खतरा बढ़ जाता है. ऐसे लोगों के खून में मिठास की मात्रा बढ़ जाती है जो हाई ब्लड शुगर के रूप में सामने आता है. अगर लंबे वक्त तक स्टेरॉइड्स दिए जाएं तो भी लोग ब्लैक फंगस की चपेट में आ सकते हैं. कुछ दवाइयां भी बहुत सावधानी से देनी चाहिए, वो भी फंगल इन्फेक्शन का कारण बन सकती हैं बिना डॉक्टरी सलाह के स्टेरॉइड लेना खतरनाक हो सकता है.