हाईकोर्ट की फटकार के बाद बिहार में लगा लॉकडाउन, 15 मई लागू रहेगी पाबंदी.
हाईकोर्ट ने कहा सरकार आज बताए कि लॉकडाउन लगेगा या नहीं, वरना हम लेंगे फैसला.
सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में कोरोना के एक्टिव मरीजों की संख्या 1 लाख पार पहुँच चुकी है.र संक्रमण की रोकथाम के सारे सरकारी दावे फेल साबित हुए हैं. ऑक्सीजन उठाव के लिए वाहन का अभाव है और अस्पतालों में बेड और स्वास्थ्य विभाग में मैनपावर की कमी से हालात बिगड़ रहे हैं. कोरोना के कहर से बेकाबू होते हालात और राज्य सरकार की कार्यशैली पर पटना हाईकोर्ट ने सोमवार को कड़ी नाराजगी जताई है.हाईकोर्ट ने कहा कि महामारी से निपटने में राज्य सरकार फेल हो रही है. जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह व जस्टिस मोहित कुमार शाह की खण्डपीठ ने शिवानी कौशिक की जनहित याचिका पर सुनवाई को मंगलवार के लिए स्थगित करते हुए महाधिवक्ता ललित किशोर को अनुरोध किया है कि वे चार मई तक सरकार से बात कर कोर्ट को बताएं कि राज्य में लॉकडाउन लगेगा या नहीं?कोर्ट को जबाब देने पहले राज्य सरकार ने आज से 15 मई तक के लिए लॉकडाउन घोषित कर दिया है.
कोर्ट की नाराजगी इस बात को लेकर है कि सूबे के अस्पतालों में निर्बाध ऑक्सीजन सप्लाई का अब तक ठोस एक्शन प्लान नहीं दिया गया है. साथ ही केंद्रीय कोटा से मिले रोजाना 194 एमटी ऑक्सीजन की जगह मात्र 160 एमटी ऑक्सीजन का ही उठाव हो रहा है. इसके अलावा बेड व वेंटिलेटर की कमी लगातार जारी है. कोर्ट के निर्देश के बाद भी बिहटा का ईएसआईसी अस्पताल पूरी क्षमता के साथ शुरू नहीं हो पाया है. निर्देशों की अवहेलना और राज्य में कोरोना की बेकाबू रफ्तार पर नाराज खंडपीठ ने कहा कि या तो सरकार बेहतर निर्णय ले या फिर कोर्ट को कड़ा फैसला लेना पड़ सकता है.
कोर्ट ने कहा- सरकार के पास कोई ठोस एक्शन प्लान नहीं है. स्वास्थ्य विभाग के कुछ अफसरों के जरिए कोर्ट को कुछ डाटा सौंप दिया जाता है. सरकार ने अब तक जो भी एक्शन प्लान दिए हैं, वे आधे अधूरे और समस्या से निबटने के लिए अप टू मार्क नहीं हैं. उसके पास डॉक्टर, वैज्ञानिक, नौकरशाह की कोई एडवाइजरी कमेटी तक नहीं है, जो इस कोरोना विस्फोट से निपटे.अब तक कोई वार रूम तक नहीं है. ऑक्सीजन सप्लाई पर बार-बार आदेश देने के बाद भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है.
खंडपीठ ने कहा कि केंद्रीय कोटे से रोजाना 194 एमटी ऑक्सीजन मिल रहा है लेकिन अभी केवल 160 एमटी ऑक्सीजन का ही रोजाना उठाव क्यों हो रहा है.केंद्र सरकार के वकील ने बताया कि निर्धारित कोटे से 34 एमटी ऑक्सीजन का उठाव नहीं होने पर वह लैप्स हो जाता है.बिहटा ईएसआईसी अस्पताल को अब तक ऑक्सीजन बेड, लैब व दवाखाना की वजह से पूरी तरह चालू नहीं किया गया है. वीडियो कांफ्रेंसिंग पर मौजूद सेना के एक अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि डॉक्टरों की टीम बिहटा में 23 अप्रैल से ही आकर बैठी है, लेकिन बेड ऑक्सीजन और लैब के बगैर काम शुरू नहीं हुआ.
आईजीआईएमएस के डेडिकेटेड कोविड अस्पताल होने पर सवाल उठाते हुए खंडपीठ ने कहा कि कहने भर के लिए ही यह डेडिकेटेड कोविड अस्पताल है. सिर्फ 10 वेंटिलेटर और लगभग 20 आईसीयू बेड हैं जबकि इसके पास हजारों बेड की क्षमता है और बगैर नियमित ऑक्सीजन के सब बेकार है.हाईकोर्ट के कड़े तेवर को देखते हुए आज आपदा प्रबंधन की होनेवाली बैठक में बिहार में आज से कम्पलीट लॉकडाउन लगाने का फैसला सरकार ने ले लिया है.
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