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बिहार के अस्पतालों में कोरोना का ईलाज खतरे से नहीं है खाली.

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सिटी पोस्ट लाइव :कोरोना से बिहार में हाहाकार मचा हुआ है.रोज संक्रमण अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़ रहा है.रोज मरनेवालों की संख्या बढती जा रही है.कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा संक्रामक और और ज्यादा जानलेवा है.कोरोना से बचने का एक ही उपाय है आइसोलेशन और फिजिकल डिस्टेंस का पालन.बिहार के अस्पतालों में ईलाज का आलम ये है कि आम ही नहीं ख़ास लोगों को भी ICU नहीं मिल पा रहा है.बिहार के पूर्व शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी की मौत ईलाज के अभाव में हो गई.उनके परिजनों के अनुसार रिपोर्ट आने में 5 दिन लग गए और जब रिपोर्ट आई तो मुश्किल से एक निजी अस्पताल में जगह मिली लेकिन ICU में जगह नहीं मिली.

जब ख़ास लोगों का इलाज नहीं हो पा रहा है, ऐसे में आम लोगों को कितनी परेशानी हो सकती है, सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.सरकारी अस्पतालों में मरीज राम भरोसे हैं और निजी अस्पताल कोरोना को लूट का जरिया बना चुके हैं.निजी अस्पतालों में ईलाज करवा रहे लोग लगातार शिकायतें कर रहे हैं कि एक एक मरीज को अस्पताल सात से आठ लाख रूपये का बिल थमा रहे हैं.विरोध करे पर अस्पताल से निकाल देने की धमकी दे रहे हैं.लोगों की ये भी शिकायत है कि लाखों रूपये देने के वावजूद ठीक ढंग से अस्पतालों में ईआज नहीं हो पा रहा है.

अस्पतालों की व्यवस्था की पोल कोई मरीज ना खोल दे, निजी अस्पताल मरीजों से मोबाइल छीन ले रहे हैं.पटना के फोर्ड अस्पताल में भर्ती एक अरीज के रिश्तेदारों के अनुसार अस्पताल प्रबंधन मरीजों को मोबाइल रखने की इजाजत नहीं दे रहा जबकि भारत सरकार का गाईडलाइन है कि मरीजों को मोबाइल फोन के इस्तेमाल की ईजाजत देनी है ताकि वो अपने लोगों से बात कर सकें और जरुरी पड़ने पर डॉक्टर्स से संपर्क कर सकें.

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