सिटी पोस्ट लाइव : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री को दुमका, चाईबासा और देवघर कोषागार से करीब 1,000 करोड़ रुपये अवैध तरीके से निकालने के मामले में दोषी ठहराया गया है. रांची में विशेष सीबीआई अदालत ने उन्हें पहले ही चाईबासा में दर्ज दो और देवघर में एक मामले में जमानत दे दी थी. दुमका कोषागार से 3.5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी मामले में भी न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह ने शनिवार को सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता को जमानत दे दी है.
दुमका कोषागार मामले में जमानत मिलने के बाद, उन्हें जल्द ही जेल से रिहा किए जाने की संभावना है. लालू प्रसाद यादव की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि उन्होंने अपनी आधी सजा काट ली है. साथ ही उनकी उम्र काफी हो गई है और उन्हें गंभीर बिमारियों ने भी ग्रसित कर लिया है इसलिए उन्हें जमानत दी जाए. इस मामले में आधी सजा पूरी करने वाले बाकी के दोषियों को जमानत मिल चुकी है. इसपर सीबीआई के वकील ने दलील दी कि चारा घोटाला के दुकमा कोषागार मामले में लालू यादव की जमानत याचिका का कोई औचित्य नहीं बनता है. लालू यादव को 14 साल की सजा सुनाई गई है. सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने दो अलग धाराओं में लालू को 7-7 साल की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने कहा था कि एक सजा पूरी होते ही दूसरी सजा शुरू हो जाएगी.
रांची हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान लालू प्रसाद यादव के वकील ने कपिल सिब्बल और देवर्षि मंडल ने कहा कि लालू प्रसाद ने इस मामले में छह अप्रैल को सजा की आधी अवधि पूरी कर ली है, क्योंकि कोर्ट ने 19 फरवरी को माना था कि लालू प्रसाद की आधी सजा पूरी करने में एक माह 17 दिन कम है. वहीं सीबीआई का यह कहना कि लालू प्रसाद को 14 साल की सजा मिली है. यह मुद्दा जमानत पर सुनवाई के दौरान नहीं, बल्कि अपील पर सुनवाई के दौरान उठाया जाना चाहिए. अदालत किसी भी समय जमानत प्रदान कर सकती है, जैसा कि आरसी-20 में सुप्रीम कोर्ट ने लालू को जमानत दी है, लेकिन चारा घोटाला से संबंधित सभी मामलों में हाईकोर्ट ने आधी सजा पर बेल देने का मानक तय किया है. इसी आधार पर लालू ने भी जमानत देने की गुहार लगाई है. इसलिए आरजेडी सुप्रीमो को जमानत मिलनी चाहिए. कपिल सिब्बल की दलील को मानते हुए जज साहब ने लालू यादव की जमानत को मंजूरी दे दी.