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यूपी में सपा-बसपा गठबंधन तय ,हर कुर्बानी देने को तैयार हैं अखिलेश यादव

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इसबार लोक सभा चुनाव में मायावती और अखिलेश सिंह एकसाथ आने का मन बना चुके हैं.मोदी को फिर से सत्ता में आने से रोकने के लिए  अखिलेश सिंह मायावती को अपने साथ लाने के लिए सबकुछ करने को तैयार हैं.यहाँ तक कि समाजवादी पार्टी बीएसपी को अपना सीनियर पार्टनर भी मानने को तैयार हैं .

सिटी पोस्ट लाईव :आगामी चुनाव मोदी सरकार के लिए आसान नहीं होगा .पिछले विधान सभा चुनाव में बिहार में जिस तरह से दो कट्टर राजनीतिक शत्रू लालू यादव और नीतीश कुमार मोदी को हारने के लिए एक हो गए थे .उसी तर्ज पर इसबार लोक सभा चुनाव में मायावती और अखिलेश सिंह एकसाथ आने का मन बना चुके हैं.मोदी को फिर से सत्ता में आने से रोकने के लिए समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश सिंह मायावती को अपने साथ लाने के लिए सबकुछ करने को तैयार हैं.यहाँ तक कि समाजवादी पार्टी बीएसपी को अपना सीनियर पार्टनर भी मानने को तैयार है. यही वजह है कि सपा यूपी में बसपा की जूनियर पार्टनर बनने को भी तैयार है.

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी में गठबंधन को लेकर कहा कि बीजेपी को सत्ता से बाहर करना उनका लक्ष्य है और इसके लिए वो हर कीमत पर बीएसपी के साथ समझुता करेगें.अखिलेश यादव ने  कहा कि गठबंधन के लिए वह त्याग को तैयार हैं और अगर उन्हें गठबंधन करने के लिए दो-चार सीटें कम पर भी समझौता करना पड़े तो वह पीछे नहीं हटेंगे.

यूपी में कुल 80 संसदीय सीटें है. 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी गठबंधन ने 73 सीटों पर जीत हासिल की थी. सपा को 5 और कांग्रेस को 2 सीटें मिली थी. जबकि बसपा का खाता भी नहीं खुला था. इसी तरह से पिछले साल हुए यूपी विधानसभा चुनाव में सपा ने बसपा से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही थी. हालांकि इन चुनावों में दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ी थी.

इसबार फूलपुर-गोरखपुर उपचुनाव में जब सपा को बसपा ने समर्थन किया तो  बीजेपी को करारी हार मिली. इसके बाद से दोनों पार्टियां के बीच रिश्ते मजबूत हुए हैं. यही वजह है कि अखिलेश यादव बसपा का साथ किसी भी सूरत में छोड़ने को तैयार नहीं है.उन्हें इस बात का अंदाजा है कि अकेले बीजेपी का मुकाबला संभव नहीं है.लेकिन अगर बीएसपी साथ आ जाये तो जान बाख सकती है.

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