सिटी पोस्ट लाइव : अगर आपका ब्लड ग्रुप “ए” है तो सावधान! एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार : “ए” ब्लड ग्रुपवाले लोगों को सबसे ज्यादा कोरोना वायरस से खतरा है. ए ब्लड ग्रुप वालों के रेस्पिरेटरी सेल्स के एंटीजन को वरीयता देता है वायरस जिसकी वजह से उनके संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है.इस स्टडी के अनुसार अमेरिका में कोरोना वायरस की वजह से जिन 5 लाख 20 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई उनमें से 1 तिहाई लोग ऐसे थे जिनका ब्लड ग्रुप ए (A Blood Group) था. ए ब्लड ग्रुप वाले ये लोग इस वायरस की चपेट में जल्दी आ गए और कोविड-19 से संक्रमित होने की वजह से उनकी मौत हो गई.
शोधकर्ता इस बारे में बताते हैं कि इस नए कोरोना वायरस में एक खास तरह का प्रोटीन होता है जिसे- रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (RBD) कहा जाता है. यह आरबीडी खास तौर पर ए ब्लड ग्रुप वाले लोगों के फेफड़ों में मौजूद श्वसन कोशिकाओं (रेस्पिरेटरी सेल्स) की तरफ आकर्षित होता है.ब्लड अडवांसेज नाम के जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी में यह भी सुझाव दिया गया है कि शोध में जो नई बात सामने आयी है कि उसकी मदद से कुछ नई और संभावित दवाइयों या तकनीक की खोज की जा सकती है ताकि वायरस को फैलने से रोका जा सके. अमेरिका के ब्रिघम एंड वीमेन्स हॉस्पिटल की एक रिसर्च टीम ने इस बात की जांच की कि आखिर A, B और O- ये तीनों ब्लड ग्रुप, इस आरबीडी प्रोटीन की तरफ किस तरह का रिऐक्शन देते हैं और पाया गया कि ए ब्लड ग्रुप इस प्रोटीन की तरफ सबसे अधिक प्रतिक्रियाशील था.
पैथोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सीन स्टोवेल कहते हैं, ‘यह देखना बेहद दिलचस्प है कि वायरल RBD, केवल A ब्लड ग्रुप वाले लोगों के रेस्पिरेटरी सेल्स में मौजूद एंटीजेन को ही वरीयता देता है. अधिकतर लोग यही मानते हैं कि संभवतः वायरस अधिकांश रोगियों में इसी तरह से प्रवेश करता है और उन्हें संक्रमित करता है. ब्लड ग्रुप का टाइप एक चैलेंज है क्योंकि हर व्यक्ति इसे वंशानुगत रूप से प्राप्त करता है और ये कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे हम बदल पाएं. लेकिन अगर हम बेहतर तरीके से यह समझ लें कि वायरस, लोगों के ब्लड ग्रुप पर किस तरह से परस्पर प्रभाव डालता है, तो हम नई दवाओं या रोकथाम के तरीकों को खोजने में सक्षम हो सकते हैं.’
इससे पहले SARS-CoV वायरस जिसकी वजह से सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS) की बीमारी हुई थी उसमें भी यही देखने को मिला था कि वायरस के आरबीडी ने ए ब्लड ग्रुप वाले के रेस्पिरेटरी सेल्स में मौजूद एंटीजेन को वरीयता दी थी मरीज के शरीर में प्रवेश करने के लिए.
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