सिटी पोस्ट लाइव, लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 72वें गणतंत्र दिवस के मौके पर मंगलवार को अपने सरकारी आवास पर तिरंगा फहराया। इस मौके पर उन्होंने प्रदेशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि संविधान ने देश को एकता के सूत्र में बांधने में बेहद अहम भूमिका निभायी है। भारतीय संविधान प्रत्येक नागरिक को बिना किसी भेदभाव के समान अवसर देने का पक्षधर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत को दुनिया के अंदर सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में स्थापित करने और भारत के अंदर अनेकता में एकता के भाव सृजित करने में हमारे संविधान की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।
मुख्यमंत्री ने 72वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश की स्वाधीनता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने और आजादी की लड़ाई के लिए अपना योगदान देने वाले सभी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के प्रति विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें कोटि-कोटि नमन किया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने आजाद भारत में देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए देश के अंदर आंतरिक सुरक्षा की स्थिति को सुदृढ़ बनाते हुए शहीद हुए वीर जवानों के प्रति भी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
उन्होंने कहा कि भारत का संविधान भारत के प्रत्येक नागरिक को बिना भेदभाव के एक समान अवसर देने का पक्षधर रहा है और आजादी के बाद 1950 में संविधान लागू होने के साथ ही भारत के प्रत्येक नागरिक ने संविधान की ताकत का एहसास किया है। उन्होंने कहा कि चाहे वह महिला, पुरुष के बीच में लिंग के आधार पर होने वाला भेदभाव हो या जाति, मत, मजहब, क्षेत्र और भाषा के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव हो, भारत के संविधान ने कभी भी इस प्रकार की विकृति को कोई महत्व नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि देश के अन्दर भले ही अनेक जातियां हों, उपासना की अनेक विधि हो, मत और मजहब के आधार पर लोगों की धार्मिक और उपासना विधि अनेक रही हो, खान-पान रहन-सहन, वेशभूषा अलग लग रही हो। लेकिन, अनेकता के बावजूद उत्तर से लेकर लेकर दक्षिण और पूरब से लेकर पश्चिम तक अगर पूरा भारत एकता के सूत्र में बंधा है, तो भारतीय संस्कृति, भारतीय परम्परा और हजारों वर्षों की उस महान विरासत को समेटे हुए हमारे संविधान की इसमें एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने संविधान के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव प्रत्येक नागरिक का दायित्व बनता है। यह संविधान हमें सम्मान के साथ जीने और आगे बढ़ने का अवसर दे रहा है। हमें इसके मूल भाव का सम्मान करना चाहिए। देश के नागरिक के तौर पर हम सबका दायित्व है कि हम संविधान के मुताबिक अपने कर्तव्यों का बोध करें।
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