सिटी पोस्ट लाइव, रांची: चारा घोटाले के विभिन्न मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव को उम्मीद है कि बिहार में जल्द ही एक बार फिर राजनीतिक परिवर्त्तन होगा। पिछले दिनों स्वास्थ्य का हाल जानने रांची आये तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव को लालू प्रसाद ने अपने राजनीतिक अनुभव से कई सलाह दी और उसी रणनीति के तहत काम करने का निर्देश दिया है। वहीं आरजेडी नेताओं को भी यह उम्मीद है कि नये साल में लालू प्रसाद के जेल से बाहर निकलने पर बिहार में तेजी से राजनीतिक परिदृश्य बदलेगा। लालू प्रसाद ने तेजस्वी और तेजप्रताप के माध्यम से बिहार के पार्टी नेताओं को मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में कोई भी राजनीतिक बयान संभल कर देने का निर्देश दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लालू प्रसाद के निर्देश पर ही आरजेडी के नेता दो अलग-अलग मोर्चे पर काम कर रहे है।
एक ओर आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी अपने पुराने संबंधों को लेकर जदयू के शीर्ष नेताओं को साधने में जुटे है। वहीं पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी और श्याम रजक जैसे नेता अपने बयानों के माध्यम से सत्ता परिवर्त्तन का माहौल बनाने में जुटे हैं। यही कारण है कि फिलहाल आरजेडी के नेता बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सीधे राजनीतिक हमले से बच रहे है, वहीं जदयू के कई विधायकों से भी अलग-अलग संपर्क साधने की कोशिश की जा रही है। दूसरी तरफ अरुणाचल प्रदेश में जदयू के छह विधायकों के बीजेपी में शामिल होने पर राजनीति तेज है। आरजेडी नेता यह समझाने की कोशिश में जुटे है, बीजेपी सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए सहयोगी दलों को लगातार कमजोर करने का प्रयास करती है। इसे लेकर जदयू के अलावा सहयोगी पार्टी हम के नेताओं ने भी बीजेपी को गठबंधन धर्म का पालन करने की नसीहत दी है। जबकि पिछले शनिवार को रांची आये तेज प्रताप यादव ने भी साफ तौर पर कहा था कि बीजेपी अपने सहयोगी दलों को ही निगलने का काम करती हैं।
इधर, आरजेडी नेताओं का यह भी मानना है कि उनके नेता लालू प्रसाद को चारा घोटाले के तीन मामलों में जमानत मिल गयी है और चौथे मामले में आगामी 22 जनवरी को सुनवाई होनी है। पार्टी नेताओं को यह उम्मीद है कि आधी सजा पूरी कर लेने और स्वास्थ्य कारणों की वजह से लालू प्रसाद को भी अन्य अभियुक्तों की तरह अदालत से जमानत मिल जाएगी। लालू प्रसाद के जेल से बाहर आ जाने के बाद आरजेडी के लिए रास्ता और आसान हो जाएगा, क्योंकि बिहार की राजनीति में अब भी लालू प्रसाद की पकड़ मजबूत मानी जाती है। जदयू में भी चुनाव जीत कर आये कई विधायकों से लालू प्रसाद का पुराना संबंध रहा है। इसके अलावा वे सरकार में शामिल अन्य दलों के नेताओं के साथ ही विपक्षी विधायकों को भी मजबूती से एकजुट करने में सफल होंगे।
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