सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में पूर्ण शराबबंदी को लेकर कांग्रेस ने सीएम नीतीश को पत्र लिखा था. इस पत्र में कांग्रेस ने लिखा था कि अब वक्त है इस शराबबंदी की समीक्षा करने की. क्योंकि शराबबंदी सिर्फ कहने को है. कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था. अब इस पत्र का जदयू के तरफ से जवाब आया है. पार्टी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जनता इस तरह की मांगों को लेकर कांग्रेस को कभी माफ नहीं करेगी. जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने शराबबंदी कानून को क्रांतिकारी निर्णय बताते हुए कहा कि इससे सड़क दुर्घटना, अपराध में जहां कमी आई है, वहीं महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिला है. बावजूद इसके अगर कांग्रेस कानून खत्म करने की मांग करती है तो उनकी मर्जी. उन्होंने साफ कहा कि इससे आमदनी के भी स्रोत बढ़े हैं, लेकिन अगर कांग्रेस खुद को हास्य का पात्र बनाना चाहती तो उनकी मर्जी. जनता उन्हें कभी माफ नहीं करेगी.
बीजेपी प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल ने भी कुछ ऐसा ही जवाब दिया है. उन्होंने भी शराबबंदी के फायदे बताते हुए कहा कि इससे घरेलू हिंसा में कमी आई है. सड़क दुर्घटना से लेकर अपराध में जहां इससे कमी दर्ज की गई है, वहीं आम लोगों को सबसे ज्यादा फायदा पहुंचा है. बता दें अजित शर्मा ने पत्र में कहा था कि जिस आशा के साथ शराबबंदी लागू की गई थी वह सफल होते हुए नहीं दिख रही है. इस कानून से अब तो गरीब परिवार और भी आर्थिक बोझ तले दब गया है, क्योंकि अब 2-3 गुना अधिक कीमत पर शराब खरीदकर लोग पी रहे. इतना ही नहीं लाइसेंसी दुकानों में शराब नहीं बिकने के कारण नकली- जहरीली शराब की होम डिलीवरी की आशंका बढ़ गई है. अब तक दर्जनों लोग जहरीली शराब से मौत के मुंह में चले गए हैं.
साथ ही कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा ने लिखा कि शराबबंदी से बिहार को चार से पांच हजार करोड़ रुपए के राजस्व की क्षति हो रही है. इससे दोगुनी राशि शराब माफिया और उनसे जुड़े लोगों के पैकेट में जा रही है. लिहाजा, शराबबंदी कानून की समीक्षा कर शराब की कीमत दोगुनी या तीन गुनी करते हुए शराबबंदी को समाप्त किया जाए और प्राप्त राशि से कारखाना खोला जाए. ताकि एक तरफ शराब के अवैध धंधे पर रोक लग सके दूसरी तरफ बेरोजगारों को रोजगार मिल सके.
Comments are closed.