सिटी पोस्ट लाइव: बिहार के डी़जीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सभी को चौंकातें हुए उन्होनें पुलिस सेवा के लंबे कार्यकाल से विराम ले लिया है। अब वे सियासत की पिच पर अपनी नयी पारी खेलेंगे। पुलिस अधिकारी रहते उन्होनें जिस तरह जनता के दिलों में अपनी जगह बनायी है वे उनकी नयी पारी को नया आय़ाम देगा। सेवानिवृत्ति से पांच महीने पूर्व ही उन्होंने नौकरी छोड़ दी। डीजी होमगार्ड एसके सिंघल को डीजीपी का प्रभार सौंपा गया है। गृह विभाग ने इसकी अधिसूचना मंगलवार को जारी कर दी है।
पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय की चर्चा बिहार के बेटे दिवंगत फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के केस में उस वक्त नयी ऊंचाईयों पर पहुंच गयी जब इस केस में बिहार पुलिस के अधिकारियों की सम्मान की रक्षा के लिए उन्होनें सीधे-सीधे महाराष्ट्र सरकार से लोहा ले लिया। बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी पटना के सिटी एसपी विनय तिवारी को क्वारंटीन किए जाने के बाद पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय इस कठिन वक्त में पूरी मुस्तैदी से सामने आए। उन्होनें महाराष्ट्र सरकार, एमसीडी और मुंबई पुलिस के खिलाफ अकेले ही मोर्चा खोल दिया । वे तबतक नहीं माने जब तक महाराष्ट्र सरकार ने बैकफुट पर आकर आईपीएस अधिकारी को क्वारंटीन मुक्त नहीं कर दिया। ये पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय की ही दिलेरी है कि आज सुशांत सिंह राजपूत केस में बड़े-बड़े खुलासे हो रहे हैं केस की तीन ब़ड़ी एजेंसिया जांच कर रही है और ड्रग्स एंगल ने तो पूरे बॉलीवुड को ही हिला कर रख दिया है।
गुप्तेश्वर पांडेय की ये दिलेरी ये जांबाजी कोई नयी नहीं है। पूरा पुलिस कैरियर उनके इसी अंदाज के लिए जाना जाता है। बेहद ईमानदार, सीधा-सादा और सरल व्यक्तित्व, हमेशा होठों पर मुस्कान। अपने सहयोगियों- कर्मियों के साथ मधुर संबंध रखने वाले लेकिन काम में कोताही बरतने वालों के लिए एक कड़क पुलिस ऑफिसर के रूप में इनकी पहचान रही है। अपने कार्यकाल में उन्होंने करीब 400 दागी अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाया है। गुप्तेश्वर पांडेय की सबसे बड़ी विशेषता ये रही है कि उनका सामाजिक सरोकार के साथ ही पुलिसिंग में यकीन रहा है। उनकी चर्चा शराबबंदी को लेकर चल रहे अभियान को लेकर बड़े स्तर पर
होती रही है।
डीजीपी रहते गुप्तेश्वर पांडेय ने चर्चित भारतीयों की लिस्ट में 10वें पायदान पर अपनी जगह बनायी। फेम इंडिया की के 50 चर्चित हस्तियों की लिस्ट में टॉप टेन में शुमार रहें। फेम इंडिया ने डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय को इस उपलब्धि के लिए सलाम करते हुए लिखा कि ‘ जिन्होनें अपने प्रयासों से लोगों के जीवन में बदलाव, विकास और संभावनाओं को मजबूत करने और देश के सम्मान को बढ़ाने का प्रयास किया है।’देश के 25 उत्कृष्ट आईपीएस अफसरों में डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय को विलक्षण प्रतिभा का सबसे धनी पाया गया है। इस श्रेणी में वह सबसे टॉप पर रहे हैं। फेम इंडिया एशिया पोस्ट द्वारा आईपीएस अफसरों के कामकाज पर किए गए
सर्वे ‘25 उत्कृष्ट आईपीएस 2020′ में उन्हें यह स्थान प्राप्त हुआ।
डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का पुलिसिंग कैरियर बेमिसाल रहा है। विलक्षण प्रतिभा के धनी गुप्तेश्वर पांडेय अपनी पहली पोस्टिंग से ही लोगों के बीच बेहद पॉपुलर रहे हैं। गुप्तेश्वर पांडेय एएसपी, एसपी, एसएसपी, डीआईजी, आईजी, एडीजी के तौर पर कार्य करने के बाद बिहार के पुलिस महानिदेशक बनने से पहले डीजी बिहार सैन्य पुलिस और डीजी पुलिस अकेडमी के पद पर थे । अपने कैरियर के दौरान बिहार के अधिकतर जिलों में कार्य करने के कारण, वे राज्य के चप्पे-चप्पे की जानकारी रखते हैं ।उनकी कार्यशैली की प्रशंसा करते आज भी तमाम जिलों के लोग,अघाते नहीं हैं।
गुप्तेश्वर पांडेय ने बेगूसराय, जहानाबाद, औरंगाबाद और नालंदा में एसपी रहने के दौरान बेहतरीन पुलिसिंग की एक मिसाल कायम की। इस जांबाज अधिकारी ने 90 के दशक में बिहार में ऑर्गनाइज्ड क्राइम का सबसे बड़ा अड्डा बन चुके बेगूसराय में, अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान खूंखार अपराधियों पर नकेल कस दिए । वहीं जहानाबाद, औरंगाबाद और नालंदा में अपने कार्यकाल के दौरान नक्सलवाद पर पूरी तरह से लगाम लगा दिया ।जिसकी चर्चा आज भी इन जिलों में होती है।
डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय बिहार सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट “पूर्ण शराबबंदी और नशा मुक्ति” के ब्रांड एम्बेसडर भी माने जाते हैं । उनके द्वारा नशा मुक्ति और शराबबंदी को लेकर चलाये गये अभियान की चर्चा देश भर में हो रही है । वे विभिन्न सेमिनारों और अन्य माध्यमों से इस सामाजिक बुराई के विरुद्ध, लगातार अभियान चला रहे हैं। सोशल मीडिया के द्वारा पुलिस और जनता के बीच परस्पर विश्वास जगाने का, इनका प्रयास राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय है,जिसका अनुसरण अन्य राज्यों में भी किया जा रहा है।