सिटी पोस्ट लाइव : महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव को ये बखूबी पता है कि अब उनका MY समीकरण पहले जैसा मजबूत नहीं रहा.वो इसकी भरपाई के लिए ही राजपूत और भूमिहार समाज को पार्टी से जोड़ने की कवायद में जुटे हुए थे.लेकिन रघुवंश बाबू की नाराजगी और फिर उनकी हुई मौत से अगड़ों को जोड़ने की उनकी मुहीम को तगड़ा झटका लगा है.
15 साल तक जिस MY समीकरण की बदौलत लालू यादव सत्ता में रहे, आज उसमे भी ओवैसी ने बड़ी सेंधमारी कर दी है. AIMIM के चीफ ओवैसी इस बार विधानसभा चुनाव में ताल ठोकेंगे. ओवैसी की विधान सभा चुनाव की तैयारी से RJD के मुस्लिम-यादव (M-Y) समीकरण को भारी नुकशान पहुँच सकता है. ओवैसी उपचुनाव में एक सीट जीतकर अपनी ताकत दिखा चुके हैं.उनके साथ समझौता संभव नहीं क्योंकि वो 47 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं.
राज्य में 16 फीसदी मुस्लिम और 14 फीसदी यादव हैं. मुस्लिम वोटरों के ध्रुवीकरण से हिन्दू वोटरों के ध्रुवीकरण का कह्त्र बना हुआ है.बिहार में विधान सभा की 243 सीटों में से 47 विधान सभा सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम आबादी 20 से 40 फीसदी तक है.वहां चुनावों में उम्मीदवारों की हार-जीत तय मुस्लिम वोटर ही करता है.RJD पहले से मुस्लिम वोटों को लेकर आश्वस्त रहता था लेकिन इस बार ओवैसी की एंट्री के बाद इन वोटों में सेंधमारी के खतरे को देखते हुए तेजस्वी यादव थोड़े चिंतित हैं.
साल 2015 में सत्ताधारी जेडीयू और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. नीतीश कुमार की पार्टी ने लालू यादव और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन फिलहाल जेडीयू फिर से बीजेपी के साथ जा चुकी है। 2010 में भी बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था.पिछले दस सालों में सामाजिक समीकरण बदले हैं. नीतीश सरकार के खिलाफ भी एंटी इन्कम्बेंसी फैक्टर हावी है. ऐसे में माना जा रहा है कि तीन तलाक, नागरिकता संशोधन कानून, अनुच्छेद 370 हटाने के मोदी सरकार के फैसले के बाद मुस्लिम वोटों का झुकाव RJD –CONG वाले गठबंधन की तरफ हो. लेकिन असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने राज्य के 22 मुस्लिम बहुल जिलों की 32 विधान सभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर तेजस्वी यादव की मुश्किल बढ़ा दी है.तेजस्वी यादव की चुनौती तब और भी ज्यादा बढ़ जायेगी जब ओवैशी के साथ पप्पू यादव की पार्टी का तालमेल हो जाएगा.पप्पू यादव 100 ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार देकर यादवों की गोलबंदी भी तोड़ सकते हैं.
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