सिटी पोस्ट लाइव : पूर्व केन्द्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) के निधन को लेकर पैदा हुए विवाद ने RJD नेता तेजस्वी यादव का संकट बढ़ा दिया है. निधन से पहले जिस तरह से रघुवंश बाबू तेजस्वी यादव से नाराज हुए और मौत से दो दिन पहले जिस तरह से पार्टी से इस्तीफा देकर पत्र के जरिये लालू परिवार पर हमला बोला, उससे पार्टी को बड़ा नुकसान हुआ है. इस नुकसान की भरपाई में पटी के नेता जुटे हैं. रघुवंश बाबू के पत्र को साजिश बता रहे हैं. लेकिन इस बात को कैसे झुठला सकते हैं कि रघुवंश बाबू तेजस्वी यादव से नाराज चल रहे थे. इसके पहले भी वो अस्पताल से ही पार्टी के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे चुके हैं.
राजनीतिक पंडितों के अनुसार रघुवंश बाबू की वजह से RJD के मिशन-R पर ग्रहण लग गया है. राजपूत वोटर को साधने के की तेजस्वी यादव (Tejaswi Yadav) पिछले कुछ दिनों से लगातार प्रयास कर रहे थे. लेकिन रामा सिंह जैसे बाभुबली को रघुवंश बाबू की मर्जी के खिलाफ पार्टी में शामिल कराने की कोशिश कर खुद अपना गेम बिगाड़ लिया.राघोपुर को दुरुस्त करने के चक्कर में उन्होंने पुरे बिहार के राजपूत वोटरों को नाराज कर दिया.रघुवंश बाबू के परिवार की नाराजगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने रघुवंश बाबू के पार्थिव शरीर को पार्टी दफ्तर ले जाने की इजाजत तक नहीं दी.
रघुवंश बाबू ने पहले दो पत्र लिखे. पहले पत्र में पार्टी से इस्तीफा दिया, जबकि दूसरे पत्र में सीएम नीतीश कुमार से वैशाली के विकास का आग्रह किया और लालू परिवार पर निशाना साधा.ठीक इसके बाद उनका निधन हो गया.लालू यादव ने उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन सफलता मिलने से पहले ही रघुवंश बाबू ने दुनिया छोड़ दी. ये सबकुछ तब हुआ जब विधान सभा चुनाव सर पर है.गौरतलब है कि RJD अपने मिशन MY (मुस्लिम-यादव) के इतर मिशन R पर भी काम कर रहा था. मिशन-R यानी राजपूत वोटर, जिसे साधने के लिए RJD लगातार कदम उठा रहा था. पहले जगदानंद सिंह को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाना, फिर सुनील सिंह को एमएलसी बनाना और तेजस्वी का सुशांत सिंह राजपूत मामले में सीबीआइ जांच की मांग सबसे पहले करना, इसी अभियान की कड़ी थी. बहुत जल्द RJD कुछ बड़े राजपूत चेहरे को पार्टी में शामिल करने की तैयारी में था, लेकिन ठीक उसके पहले रघुवंश सिंह की नाराजगी और निधन ने पार्टी के मंसूबे पर पानी फेर दिया.
RJD नेता मिशन-R की बात को गलत बता रहे हैं लेकिन ये भी कहते हैं कि रघुवंश सिंह हमसे कभी दूर गए ही नहीं थे. उनके निधन पर जिस गंदी राजनीति का परिचय एनडीए के नेता दे रहे हैं. इससे कुछ नहीं होने वाला है. हमारे साथ हर तबके का वोट है. हम कभी सवर्ण के खिलाफ थे ही नहीं. अगर ऐसा होता तो क्या एक समय में हमारे 4 सांसदों में से 3 राजपूत जाति के होते.
एनडीए भी R-फैक्टर पर नजर गड़ाए हुए है. और अब रघुवंश बाबू के निधन के बाद उनके बहाने राजपूत वोटरों को लुभाने की कवायद में जी-जान से जुटा है. रघुवंश बाबू के वैशाली के विकास को लेकर लिखे गये पत्र के बहाने मिशन-R को साधने की एनडीए को कोशिश हो रही है. इससे पहले भी सुशांत सिंह मामले में नीतीश कुमार ने सीबीआई जांच की अनुशंसा कर इसके संकेत दे दिये थे. जेडीयू अब रघुवंश बाबू के बहाने मिशन-R को साधने की कवायद तेज कर दी है.जेडीयू प्रवक्ता संजय सिंह कहते हैं, ‘सिर्फ वोट लेने के लिए RJD किसी नेता का उपयोग करता है. रघुवंश बाबू जैसे नेता की चिंता जिंदा रहने पर नहीं की, लेकिन अब जब उन्होंने RJD की कलई खोल दी है और इसी गम में स्वर्ग सिधार गये, तो RJD नेता उनकी जाति के वोट खिसकने के डर से सहानुभूति होने का नाटक कर रहे हैं.