सिटी पोस्ट लाइव :कोरोना के संक्रमण के बीच बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव 2020 (Bihar Assembly Election 2020) से सबसे ज्यादा नुकशान वैसे लोगों को होने जा रहा है जो पहलीबार अपनी राजनीतिक पारी की शुरुवात करनेवाले थे. इस बार चुनाव में राजनीतिक दल नए नेताओं को मौका देने की बजाय पुराने लोगों को ही मैदान में उतरने की तैयारी कर रही हैं.दरअसल, कोरोना (COVID-19) की वजह से चुनाव प्रचार ,रैली ,सभा, मीटिंग में रोक लगी हुई है. ऐसे हालातों में राजनीतिक दल ऐसे नेताओं पर दांव नहीं लगाना चाहते हैं जो पहले से स्थापित नेता नहीं हैं.जाहिर है ऐसे नेता जो पहलीबार चुनाव लड़ना चाहते हैं, किसी राजनीतिक दल से अपना भाग्य आजमाना चाहते हैं, उनके लिए बड़ा संकट पैदा हो गया है.
इस बार राजनीतिक दल केवल पहले से स्थापित और लगातार अपने क्षेत्र में रहनेवाले नेताओं और सीटिंग विधायकों को ही चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी में हैं. वजह साफ है, कोरोना. कोरोना की वजह से सभा, मीटिंग ,बैठक, रैली नहीं आयोजित होंगी. ऐसे में नए कैंडिडेट को स्थापित करना आसान काम नहीं होगा.राजनीतिक दल अपने पुराने कैंडिडेट के साथ चुनाव में उतरने की तैयारी कर रही है. सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के नेता दोनों ओल्ड इस गोल्ड के फार्मूला पर उम्मीदवार तय कर रहे हैं.
राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं का मानना है कि नए कैंडिडेट के सामने पहचान का संकट होगा.जो पुराने नेता हैं, जो जाने पहचाने नेता हैं, उनके लिए चुनाव लड़ना आसान होगा. पार्टी कार्यालयों में टिकेट के नए दावेदार खूब पहुँच रहे हैं. रंग-बिरंगे बायोडाटा लेकर नेता दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन पार्टी के नेता पहले से ही मन बना चुके हैं कि नए लोगों को मौका नहीं देना है.
बिहार विधानसभा चुनाव है. कई नेता कई सालों से इसकी तैयारी में जुटे हैं. तो कई नेता हाल के महीनों में अपनी तैयारी शुरू किए हैं और कई नेता सीधे चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरेंगे. अब राजनैतिक दल इस बार पशोपेश की स्थिति में होगी कि यदि नए कैंडिडेट को मैदान में उतारती है तो उन्हें पहचानने वाले बहुत कम होंगे. क्योंकि इस बार ना तो रैलियां होंगी, ना तो बैठकें होंगी ,ना सभाएं आयोजित की जाएंगी. ऐसे में अब राजनीतिक दल ओल्ड इज़ गोल्ड के फार्मूले पर ही चुनाव में जाने की तैयारी कर रही है.
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