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झारखंड सरकार ने जीएसटी बकाया करीब 2500 करोड़ उपलब्ध कराने की मांग

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सिटी पोस्ट लाइव, रांची: झारखंड के वित्तमंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने आज केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी कौंसिंल की हुई वर्चुअल मीटिंग में हिस्सा लिया। जीएसटी कौंसिंल की बैठक में राज्य सरकार की ओर से अपनी बात रखते हुए डॉ. उरांव ने जीएसटी का बकाया करीब 2500 करोड़ रुपये के साथ ही केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को दी गयी 50 हजार एकड़ भूमि के एवज में बकाया लगभग 45 हजार करोड़ रुपये का भुगतान चरणबद्ध तरीके से करने की मांग की।

डॉ. उरांव ने केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को बताया कि झारखंड छोटा और गरीब राज्य है। केंद्र सरकार को जीएसटी कंप्लशेसन के रूप में करीब 2500 करोड़ रुपये का बकाया भुगतान झारखंड को करना है। उन्होंने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल में झारखड की स्थिति अच्छी नहीं है, जीएसटी कौंसिल को बकाया भुगतान को लेकर अपनी वचनबद्धता निभानी चाहिए। उन्होंने बताया कि जीएसटी कलेक्शन में केंद्र सरकार 75 प्रतिशत का अपना हिस्सा ले चुकी है, झारखंड को भी कलेक्शन में हिस्सा प्रत्येक महीने मिलना चाहिए। वहीं केंद्रीय वित्तमंत्री की ओर से बताया गया कि भारत सरकार के राजस्व संग्रहण में कमी आयी है, ऐसे में वैकल्पिक उपाय बताये। इस पर वित्तमंत्री रामेश्वर उरांव की ओर से बताया गया कि सरकार दो तरह से ही संसाधन में बढ़ोत्तरी कर सकती है, पहला तो टैक्स लगाकर, जो अभी कोरोना संक्रमणकाल में मुश्किल है, वहीं दूसरा कर्ज लेकर। ऐसी सिति में केंद्र सरकार आरबीआई से कर्ज लेकर राज्य सरकार को राशि उपलब्ध कराये, वहीं केंद्र सरकार ही इस ऋण की अदायगी करें और इसका बोझ राज्य सरकार पर नहीं पड़ना चाहिए, जिस पर केंद्रीय वित्तमंत्री ने भी सहमति जतायी है, साथ ही निर्मला सीतारमण ने राज्य सरकारों को कहा कि चिंता न करें, राज्य सरकार खर्च करें, केंद्र सरकार ऋण लेकर उपलब्ध करायेगी और इसका बोझ राज्य सरकार पर नहीं पड़ेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार 14 प्रतिशत जीएसटी क्षतिपूर्ति का भुगतान भी राज्यों को उपलब्ध करायेगी । वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के लिए झारखंड सरकार की ओर से 50 हजार एकड़ जमीन उपलब्ध करायी गयी है,जहां खनन कार्य भी निरंतर हो रहा है, इसके एवज में लगभग 45 हजार करोड़ रुपये का बकाया है, कुछ दिन पहले केंद्रीय कोयला मंत्री झारखं आये थे और इसके एवज में 250 करोड़ रुपये का भुगतान किये है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। केंद्र सरकार जमीन के एवज में बकाया करीब 45 हजार करोड़ रुपये को चरणबद्ध तरीके से झारखंड को उपलब्ध कराने में मदद करें।

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