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बिहार सरकार पर पिछले 4 महीनों में 4989 करोड़ का कोरोना कर्ज.

कोरोना संकट की वजह से इस बार 3754 करोड़ के राजस्व की हुई क्षति, कर्ज से चल रहा सरकारी काम.

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सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना संकट की वजह से देश की अर्थ-व्यवस्था डगमगा गई है.बिहार सरकार के राजस्व में भी कोरोना की वजह से 3754 करोड़ की क्षति हुई है. 4 महीने के अंदर राज्य सरकार को 4989 करोड़ रुपये कर्ज लेने पड़े है. यह जानकारी राज्य के डिप्टी सीएम व वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने दी है. आज विधानसभा सत्र के दौरान वर्ष 2020-21 की प्रथम अनुपूरक व्यय विवरणी 22,777.32 करोड़ को सदन में उपस्थापित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ये जानकारी दी.उन्होंने कहा कि अप्रैल में बिहार सरकार ने कोरोना का मुकाबला करने वाले चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों को एक माह के मूल वेतन के समतुल्य प्रोत्साहन भत्ता देने का निर्णय लिया है. इसमें संविदाकर्मी भी शामिल हैं. तमाम परेशानियों के बावजूद राज्य सरकार ने 252.54 करोड़ रुपये का संकल्प जारी कर दिया है.

सुशील मोदी ने कहा कि आंध्रप्रदेश, तेलंगना, ओडिशा, राजस्थान, महाराष्ट्र व केरल जैसे तथाकथित बिहार से अधिक विकसित राज्यों ने जहां कोविड-19 संकट के दौरान अपने कर्मचारियों के वेतन व पेंशन में 30 से 50 प्रतिशत तक की कटौती कर ली.बिहार ने कर्मचारियों के वेतन, पेंशन में बिना किसी प्रकार की कटौती किए 31 जुलाई तक 10,732.88 करोड़ वेतन पर, 6168.07 करोड़ पेंशन पर, 2959.04 करोड़ ब्याज के भुगतान व 1816.05 करोड़ ऋण की अदायगी सहित कुल 21,676.94 करोड़ व्यय किया है.

सुशील मोदी ने कहा कि राज्य के अपने राजस्व से 2019-20 की तुलना में 2020-21 में अप्रैल महीने में 81.61 प्रतिशत, मई में 42.14 प्रतिशत, जून में 15.12 प्रतिशत और जुलाई में 8.34 कम संग्रह हुआ. 2020-21 में अप्रैल से जुलाई तक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में कुल मिला कर 33.61 प्रतिशत की कमी रही. 2019 के अप्रैल से जुलाई तक 11,171.20 करोड़ का जहां संग्रह हुआ था वहीं 2020 के अप्रैल से जुलाई तक 7,416.57 करोड़ का संग्रह हुआ जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 3754 करोड़ कम है.

डिप्टी सीएम ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले 4 महीने में 4,989 करोड़ का ऋण लिया है. राज्य सकल घरेलु उत्पाद का 3 प्रतिशत नेट ऋण लेने के प्रावधान के तहत केन्द्र ने 19,384 करोड़ रुपये ऋण की उगाही की अनुमति दी थी. पिछले दिनों केन्द्र सरकार ने प्वाइंट 5 प्रतिशत अतिरक्ति ऋण लेने की अनुमति प्रदान की जिसके तहत 3,230.5. करोड़ और ऋण लिया जा सकेगा, मगर बिहार सरकार ने और प्वाइंट 5 प्रतिशत यानी 3,230 करोड़ ऋण की उगाही की अनुमति देने का आग्रह किया है. अभी तक केन्द्र और बिहार दोनों ने मिल कर कोविड-19 से मुकाबले के लिए 25 हजार करोड़ से ज्यादा के खाद्यान्न व नगद राशि बिहार के लोगों को बांटा है. अकेले बिहार ने 8,538.62 करोड़ नगद सहायत वितरण मद में खर्च किया है.

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