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24 घंटे में कोरोना से 2 डॉक्टर्स की मौत, दहशत में जूनियर डॉक्टर्स.

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सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में कोरोना से चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है.राजधानी पटना समेत पूरा राज्य कोरोना संक्रमण की चपेट में बुरी तरह से आ चूका है.कल भी गया के एक डॉक्टर की कोरोना से पटना एम्स में मौत हो गई थी और उसके बाद  पीएमसीएच (PMCH) के एक और डॉक्टर की कोरोना वायरस के संक्रमण से मौत हो जाने की खबर आई है. बिहार में पिछले दो दिनों में दो डॉक्टर्स की ओरोना से मौत हो चुकी है. मृतक का नाम डॉक्टर एनके सिंह बताया जाता है जो ईएनटी डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर थे. उन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया.

सोमवार को भी एक डॉक्टर अश्विनी कुमार की कोरोना से मौत की खबर आई थी. कोरोना संक्रमण से किसी डॉक्टर की ये पहली मौत थी.पटना एम्स में रविवार की रात डॉ. अश्विनी कुमार की कोरोना से मौत हो गई थी. पटना एम्स की तरफ से बताया गया है कि गया में पोस्टेड डॉक्टर अश्विनीं कुमार को को एम्स में भर्ती कराया गया था.इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई है.

गौरतलब है कि बिहार में अब तक 30 से अधिक डॉक्टर कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. PMCH, NMCH, IGIMS समेत सभी सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. 24 घंटे में कोरोना से 9 लोगों की मौत हो गई है. इस तरह से कोरोना से मरने वालों की कुल संख्या बढ़कर 134 पर पहुंच गई है. कोरोना के संक्रमण से डरे सहमे बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टरों ने काम करने से मना कर दिया है.उनका आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग उन्हें कोरोना के संक्रमण से बचाव के लिए जरुरी उपकरण, पीपीई किट, मास्क और ग्लब्स नहीं दे रहा है.नाराज डॉक्टरों ने  हड़ताल पर जाने का अल्टीमेटम दिया है. जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन हरकत में आया और वार्ता के लिए जूनियर डॉक्टरों को प्रिंसिपल कार्यालय में मिलने को बुलाया.

जेडीए के ज्वाइंट सेक्रेट्री डॉ कुंदन सुमन ने बताया कि अस्पताल में पीपीई किट, ग्लब्स और मास्क की भारी कमी है. जिससे डॉक्टरों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. संघ ने अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि पीएमसीएच में डॉक्टरों के कोरोना इलाज के लिए अलग वार्ड की व्यवस्था, पीएमसीएच या अन्य आईशोलेशन में तैनात डॉक्टर और कर्मी जिस पी पी ई किट का इस्तेमाल करते है. उसे अस्पताल परिसर या अन्य जगहों पर फेंक दिया जा रहा है. जिससे संक्रमण का खतरा और भी बढ़ गया है.

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