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तेजस्वी यादव को मंगल पाण्डेय ने दिया नया नाम-‘आंख का अंधा नाम नयन सुख.

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सिटी पोस्ट लाइव :कोरोना और स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था को लेकर लगातार सरकार पर हमला कर रहे तेजस्वी यादव को स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने तगड़ा जबाब दिया है.उन्होंने कहा है कि भोजपुरी में एक कहावत है ‘आंख के आंधर-नाम नयन सुख,.यह कहावत आज प्रतिपक्ष के नेता पर सटीक बैठता है. सच उन्हें दिखाई नहीं देता और झूठ का बवंडर बांधते हैं. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने तेजस्वी को लालू-राबड़ी के 1990 से 2005 का शासनकाल याद दिलाते हुए कहा कि 15 साल में शिक्षा और स्वास्थ्य का मटियामेट और जगह-जगह चरवाहा विद्यालय खोल सरकारी राशि का बंदरबांट करने वाले शिक्षा और स्वास्थ्य पर प्रश्न चिह्न खड़ा कर लोगों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं.

मंगल पाण्डेय ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष नासमझ और लापरवाह हैं. सूबे की जनता के साथ गैर जिम्मेवाराना व्यवहार करते हैं. संकट की घड़ी में घर से भाग जाना या फिर घर में बंद होना इनकी फितरत बनी हुई है.स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बयान देने वालों को आज तक मुजफ्फरपुर जाने का समय क्यों नहीं मिला. वहां इस वर्ष एईएस हास्पिटल में भर्ती चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों को देखने आज तक क्यों नहीं गये. चकमी बुखार से पीड़ित बच्चों से मिलने का उनके पास एक क्षण का भी समय नहीं है. लेकिन पटना में कमरे में बंद होकर बेफजूल की बयानबाजी से बाज नहीं आते हैं.

मंगल पाण्डेय ने कहा कि RJD के  शासनकाल में स्वास्थ्य सेवा का क्या हाल था किसी से छुपा नहीं है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रोगियों की संख्या शतक भी नहीं लगा पाती थी.ब्लाक स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तो रोगियों की संख्या प्रतिदिन 2 भी पार नहीं कर पाती थी, जो आज प्रतिदिन 3 सौ से अधिक हो गयी है.एनडीए की सरकार में ब्लाक स्तर से लेकर जिला मुख्यालय के अस्पतालों में आउटडोर और इमरजेंसी सेवा में रोगियों की भरमार रहती है. मेडिकल कॉलेज  एवं अस्पतालों में भी रोगियों का आना बदस्तूर जारी है. उनका सही ढंग से इलाज हो रहा है और वे स्वस्थ एवं संतुष्ट होकर जा रहे हैं. शिक्षा व्यवस्था की हालत यह है कि राजद शासनकाल में शिक्षकों को सालों-साल वेतन नहीं मिलता था. स्कूल में छात्रों की संख्या नगण्य थी, लेकिन एनडीए सरकार ने योजनबद्ध तरीके से प्राथमिक और उच्च शिक्षा को सम्मानजनक स्थिति में पहुंचाया. छात्र-छात्राओं की उपस्थिति बढ़ायी और लाखों शिक्षकों को बहाल किया. आज शिक्षकों को नियमित वेतन भी दिया जा रहा है और छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहन के साथ-साथ योजनाओं का लाभ भी दिया जा रहा है.

कोरोना की चर्चा करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि बिहार में रैपिड एन्टीजेन टेस्ट किट से संक्रमितों की जांच विभिन्न जिलों में शुरू हो गयी है. विभिन्न जिलों में 40 हजार से ज्यादा किट पहुंच गये हैं.  इस किट से महज आधा घंटा में संक्रमण की जांच हो जाती है. उन्होंने बताया कि अभी तक प्रतिदिन 9 हजार से अधिक लोगों की जांच की जांच की जा रही है और यह कार्य जिले के अस्पतालों में भी निरंतर जारी है. उन्होंने बताया कि बिहार में कोरोना से स्वस्थ होने वाले मरीजों की संख्या 73 फीसदी है. उन्होंने स्पष्ट किया कि बिहार में कोरोना संक्रमितों के इलाज की दिशा में सरकार पूरी तरह सचेत है.

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