सिटी पोस्ट लाइव : पिछले 10 दिनों से जीतन राम मांझी चुप हैं.मीडिया से नहीं मिल रहे हैं.वो कोई बयान नहीं दे रहे हैं.दरअसल, मांझी बड़ा फैसला ले चुके हैं, केवल औपचारिक एलान भर बाकी है.सूत्रों के अनुसार जीतनराम मांझी और नीतीश कुमार के बीच लगभग बात पक्की हो गई है. नीतीश कुमार के साथ सिर्फ एक मीटिंग के बाद मांझी जेडीयू में जाने का ऐलान कर देगें.उन्हें महागठबंधन को छोड़ने का वाजिब बहाना भी मिल चूका है.उनके बार के अल्टीमेटम के वावजूद तेजस्वी यादव कोआर्डिनेशन कमिटी बनाने को तैयार नहीं हैं.तेजस्वी यादव यादव यहाँ तक कह चुके हैं कि सहयोगी दलों के साथ न तो वो बात करेगें और ना ही लालू प्रसाद.सबको प्रदेश अध्यक्ष के स्तर पर वार्ता करनी पड़ेगी.
RJD का मतलब केवल लालू यादव और लालू यादव का मतलब RJD. अब RJD का मतलब लालू यादव और तेजस्वी यादव है.जब तेजस्वी यादव और लालू यादव ही सहयोगी दलों से बात नहीं करेगें मतलब साफ़ है, RJD सहयोगी दलों खासतौर पर उपेन्द्र कुशवाहा और मांझी को भाव देने के मूड में बिलकुल नहीं है.उपेन्द्र कुशवाहा नीतीश कुमार के साथ जा नहीं सकते इसलिए कांग्रेस के साथ रहकर वो महागठबंधन का किसी तरह से हिस्सा बने रहना चाहते हैं.लेकिन जीतन राम मांझी के साथ इस तरह का कोई रिजर्वेशन नहीं है.वो भला उस RJD में क्यों रहना चाहेगें जिसके नेता उनके साथ बातचीत करने को ही तैयार नहीं.वो JDU के साथ जाने का मन बना चुके हैं. नीतीश कुमार के साथ यह मीटिंग 10 जुलाई के बाद होने की संभावना थी.लेकिन सीएम आवास में कोरोना पॉजिटिव केस मिलने, और फिर से एक सप्ताह के लॉकडाउन लागू होने से माना जा रहा है कि इसके खत्म होते ही उनके बीच एक मीटिंग होगी और मांझी जेडीयू (एनडीए) के पाले में होंगे.
जिस तरह से चिराग पासवान खुलकर नीतीश कुमार के विरोध में बोल रहे हैं उससे नीतीश काफी खफा हैं. चिराग पासवान नीतीश कुमार के कामों पर सवाल खड़े करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ रहे. ऐसे में माना जा रहा है कि नीतीश कुमार जीतनराम मांझी को अपने पाले में लाकर पासवान की NDA में अहमियत कम करना चाहते हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जेडीयू ने बीजेपी को बराबर बराबर सीटों के बटवारे का प्रस्ताव दे दिया है.नीतीश कुमार चाहते हैं कि सीटों के बंटवारे में चिराग पासवान को बीजेपी अपने हिस्से से सीट दे और जीतनराम मांझी को जेडीयू अपने हिस्से से सीट दे.
नीतीश कुमार महादलित वर्ग बना कर और उनको ज्यादा से ज्यादा सरकारी योजनाओं का लाभ देकर अपने पाले में लाने में पहले भी सफल हो चुके हैं. पासवान को छोड़कर दलित वर्ग का बड़ा हिस्सा जो आज महादलित में शामिल है और वह नीतीश कुमार के साथ खड़ा है.जीतनराम मांझी को अपने खेमे में लाकर वो अपनी महादलित वाली USP को कायम रखना चाहते हैं. चुनाव के दौरान अगर चिराग पासवान का यही रुख रहा तो नीतीश कुमार के लिए जीतनराम मांझी बड़ा कार्ड साबित हो सकते हैं.
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