दुबारा बीजेपी के साथ हो जाने से सबसे ज्यादा नाराज अल्प-संख्यक हो गए .कई बड़े दलित नेताओं के पार्टी छोड़ देने और आरजेडी में शामिल हो जाने से दलितों के ऊपर भी पकड़ ढीली हो गई है.पिछड़ा और अति-पिछड़ा वर्ग जाति के आधार पर लालू यादव के साथ खड़ा नजर आ रहा है.पेश है कनक प्रत्यूष की विशेष रिपोर्ट –
सिटीपोस्टलाइव: बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार इन दिनों अपनी पार्टी के राष्ट्रव्यापी विस्तार पर खासा ध्यान दे रहे हैं. आज सीएम आज बुधवार को राजस्थान के बांसवाड़ा में जेडीयू कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करने पहुंचे हैं. तय कार्यक्रम के मुताबिक सीएम नीतीश आज बुधवार को बांसवाड़ा में पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करेंगे और जेडीयू के मिशन राजस्थान को विस्तार देंगे.नीतीश कुमार की इस यात्रा पर पुरे देश की नजर टिकी है.सबके जेहन में यहीं सवाल है-नीतीश कुमार राजस्थान में क्यों अपनी पार्टी को खड़ा करना चाहते हैं ?.
दरअसल इसकी ठोस वजह है.नीतीश कुमार हाल के दिनों में बिहार की राजनीति में कमजोर पड़ने के बाद अपने लिए राष्ट्रिय भूमिका की तलाश कर रहे हैं.इसमे शक की कोई गुंजाईश नहीं कि अपनी बिरादरी के सबसे कम वोटर होने के वावजूद नीतीश कुमार पिछले एक दशक से बिहार में एक बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में मौजूद हैं.उन्हें यह बखूबी पता है कि बिहार में केवल विकास के बूते राजनीति नहीं की जा सकती है.इसलिए विकास के साथ साथ जाति की राजनीति भी जरुरी है.इसलिए उन्होंने अपने विकास के अजेंडे में सबसे ऊपर पिछड़ों –अति-पिछड़ों और सल्प-संख्यकों के साथ महिलाओं के हित से जोड़कर हमेशा रखा.
नीतीश कुमार ने सबसे पहले स्थानी निकाय के चुनाव में महिलाओं के लिए 50 फिसद आरक्षण और सरकारी नौकरियों में 35 फिसद के आरक्षण का प्रावधान कर ,लड़कियों के लिए विशेष छात्रवृति,साइकिल और पोषक योजना की शुरुवात कर महिलाओं को अपने पक्ष में किया.शराबबंदी भी महिलाओं की माग थी,जिसे उन्होंने पूरा किया.दूसरा बड़ा काम उन्होंने दलितों में सबसे पिछड़े दलितों को महा-दलित घोषित कर उनके उत्थान के लिए विशेष कार्यक्रम बनाकर दलित वर्ग के एक बड़े समूह को अपने साथ कर लिया.तीसरा बड़ा फैसला उन्होंने यूपीएससी और बीपीएससी की पीटी परीक्षा करनेवाले पिछड़े-अति-पिछड़े छात्रों के लिए 50 हजार से 1 लाख रुपये की सहायता देने का लिया.अल्प-संख्यकों के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरुवात की .बीजेपी के साथ सरकार चलाने के वावजू उन्होंने कभी अपने सेक्यूलर क्रेडेंशियल पर आंच नहीं आने दी.जब मुसलामों के सबसे बड़े दुश्मन नरेन्द्र मोदी के खिलाफ मोर्चा खोला तो बन गए मुसलमानों के सबसे चहेता .जिसके साथ घर की महिलायें साथ हों जाएँ ,दलित वर्ग का एक बड़ा तबका साथ खड़ा हो जाए और अल्प-संख्यक उसे अपना हितैषी समझाने लगे तो फिर कौन उसे रोक सकता है,राजनीति के अखाड़े में अपने विरोधियों को पटखनी देने से.ऊपर विकास पुरुष की छवि हो तो सोने पर सुहागा हो जाता है.यहीं हुआ नीतीश कुमार के साथ .
लेकिन दुबारा बीजेपी के साथ हो जाने से सबसे ज्यादा नाराज अल्प-संख्यक हो गए .कई बड़े दलित नेताओं के पार्टी छोड़ देने और आरजेडी में शामिल हो जाने से दलितों के ऊपर भी पकड़ ढीली हो गई है.पिछड़ा और अति-पिछड़ा वर्ग जाति के आधार पर लालू यादव के साथ खड़ा नजर आ रहा है.विकास कार्यों को आगे बढाने के लिए पैसा है नहीं.बीजेपी के साथ नीतीश कुमार खड़े दिख रहे हैं बीजेपी की केंद्र की सरकार बिहार के लिए कुछ ख़ास करके नीतीश कुमार को और ज्यादा सफल बना देने को तैयार नहीं है.ऐसे में नीतीश कुमार अपने आपको को राजनीतिक रूप से कमजोर पा रहे हैं.अभी तो बीजेपी ज्यादा भाव नहीं दे रही लेकिन और ज्यादा कमजोर हो गए तो बीजेपी भी धोखा दे सकती है.इसी चक्कर में अपनी राजनीति वजूद बचाए रखने के लिए नीतीश कुमार पिछले तीन साल साल से राष्ट्रिय राजनीति में अपनी भूमिका की तलाश कर रहे हैं.विकास कार्य को आगे नहीं बढ़ा पाने से दुखी होकर सामाजिक सुधार पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. बल-विवाह,दहेज़ प्रथा और शराबबंदी जैसे उनके अभियान इसी बदली हुई राजनीतिक परिस्थिति का नतीजा है.
राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी जेडीयू ने सक्रियता बढ़ा दी है.जेडीयू के वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम पिछले दिनों मणिपुर में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर लौटी है. जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी का कहना है कि जदयू राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में अपने चुनाव क्षेत्रों की तलाश कर रहा है.इससे पहले भी नीतीश कुमार जेडीयू के विस्तार के लिए गोवा, कर्नाटक और दिल्ली जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए चुनाव प्रचार कर चुके हैं.
आज सीएम आज बुधवार को राजस्थान के बांसवाड़ा में जेडीयू कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करने पहुंचे हैं. तय कार्यक्रम के मुताबिक सीएम नीतीश आज बुधवार को बांसवाड़ा में पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करेंगे और जेडीयू के मिशन राजस्थान को विस्तार देंगे.नीतीश कुमार की इस यात्रा पर पुरे देश की नजर टिकी है.सबके जेहन में यहीं सवाल है-नीतीश कुमार राजस्थान में क्यों अपनी पार्टी को खड़ा करना चाहते हैं ?.
दरअसल नीतीश कुमार राजस्थान में कुछ ख़ास नहीं करना चाहते .वो पार्टी का राष्ट्रिय स्तर पर विस्तार कर रामविलाश पासवान की तरह राष्ट्रीय राजनीति में अपना एक ख़ास स्थान बनाना चाहते हैं.उन्हें राजस्थान,मध्य प्रदेश और गोवा जैसे दुसरे राज्यों में कुछ ख़ास नहीं मिलना है.लेकिन चुनाव के बहाने राष्ट्रिय स्तर पर सक्रीय रहने का यह एक बढियां भर जरिया है.
कनक कुमार
Comments are closed.