सिटी पोस्ट लाइव : भारत को बाज़ार बनाकर मौज करनेवाले चीन को अब भारत सरकार ने सबक सिखाने की ठान ली है.पहले तो चीन के साथ सारे करार रद्द किये और अब चीन को सबक सिखाने के लिए सरकार ने अपनी स्ट्रैटिजी में बदलाव करते हुए प्राइवेट सेक्टर पर फोकस कर दिया है. इंडस्ट्री को चीन से आयात (Chinese imports) होने वाले गैर-जरूरी सामानों की लिस्ट तैयार करने कहा गया है, जिससे उस पर बैन लगाई जा सके.
लद्दाख घटना (India China Border Standoff) के बाद चीनी कंपनियों और चाइनीज सामान के बहिष्कार (BoycottChina) की मुहिम तेज हो गई है. सरकार ने फैसला कर लिया है कि भारत चीन पर निर्भरता (Dependancy on china) कम करेगा और आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar bharat) को सपॉर्ट करेगा. इसके लिए केंद्र ने इंडस्ट्री से कहा है कि वह उन सामानों की लिस्ट तैयार करे, जिसे चीन से खरीदा जा रहा है.इंडस्ट्री से डीटेल रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार गैर जरूरी सामानों की पहचान करेगी जिसे चीन की बजाए लोकल स्तर पर ही तैयार किया जा सके. इंडस्ट्री अपनी लिस्ट में उन सामानों को विशेष रूप से बताएगी, जिसका आयात बंद करना अभी संभव नहीं है.भारत चीन से ऑटोमोबाइल, फॉर्मास्युटिकल, खिलौना, प्लास्टिक, फर्निचर जैसे सामान बड़े पैमाने पर आयात करता है.
पूरे देश में #BoycottChina की मांग की जा रही है. चाइनीज सामान नहीं खरीदने की अपील की जा रही है. अनिल अंबानी ने चाइनीज बैंक को 700 मिलियन डॉलर (करीब 5000 करोड़ रुपये) देने से इनकार कर दिया है. अनिल अम्बानी इस फैसले को लेकर हीरो बन गए हैं. ट्विटर पर उनकी खूब तारीफ़ हो रही है.एक अन्य ट्विटर यूजर ने लिखा है कि अनिल अंबानी एकमात्र लिविंग लीजेंड और सच्चे इंडियन हैं, जिसने चीन को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है.
एक ट्विटर यूजर ने कहा कि सरकारी एजेंसियां और सरकार चीनी कंपनियों को मिले कॉन्ट्रैक्ट को कैंसल और रिव्यू करने के बारे में विचार कर रही हैं. लेकिन अनिल अंबानी उससे दो कदम आगे हैं. पहले उन्होंने चीन के बैंकों से कर्ज लिया फिर खुद को बैंक्रप्ट घोषित कर दिया.गौरतलब है कि गलवान घाटी की घटना में 20 भारतीय जांबाज शहीद हो गए थे. इस घटना के बाद से सरकार लगातार कह रही है कि हर हाल में चीन पर निर्भरता कम करनी है. यही आवाज पूरे देश, इंडस्ट्री और व्यापार संगठनों से भी आ रही है.
चीन पर निर्भरता कम करने लिए सरकार तीन टाइमलाइन स्ट्रैटिजी पर काम कर रही है. शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म और लॉन्ग टर्म. इंडस्ट्री जो लिस्ट सरकार को देगी उसके हिसाब से यह तय किया जाएगा कि शॉर्ट टर्म में क्या कदम उठाए जा सकते हैं. इसके साथ-साथ मीडियम और लॉन्ग टर्म का खांका भी अभी तैयार किया जाएगा.
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