सरकार की नजर में पराठा खानेवाले भी अमीर, देना होगा रोटी से तीन गुना ज्यादा वैट.
सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना के संक्रमण की वजह से ढाई महीने का लॉक डाउन देश में क्या हुआ सरकार ने अब रोटी और पराठा खाने वालों को भी अमीर मान लिया है.रोटी पराठा खाने पर अब टैक्स देना पड़ेगा.सुखी रोटी खानेवालों से सरकार 5 फीसदी वैट वसूलेगी तो पराठा खानेवालों की जेब से 18 परसेंट वैट लेगी.मतलब साफ़ है कि सरकार पर्थ खाने वालों को रईस मानती है. अब रोटी पर 5% और पराठा पर 18% GST लगेगा.
इस खबर को लेकर लोग सोशल मीडिया पर जमकर सरकार को ट्रोल कर रहे हैं.आमतौर पर हम पराठे को रोटी का ही एक प्रकार मानते हैं. लेकिन अथॉरिटी ऑफ एडवांस रूलिंग (एएआर) की कर्नाटक बेंच ने इसकी अलग ही व्याख्या की है. जीएसटी का नियमन करते हुए अथॉरिटी ने पराठे को 18 प्रतिशत के स्लैब में रखा है. मतलब यह कि भोजनालयों में रोटी पर लगने वाला जीएसटी 5 फीसदी होगा लेकिन पराठे पर 18 फीसदी का टैक्स देना होगा. हालांकि एएआर ने आवेदक के दृष्टिकोण पर आपत्ति जताई है.
दरअसल, एक प्राइवेट फूड मैनुफैक्चरिंग कंपनी ने यह अपील की थी कि पराठा को खाखरा, प्लेन चपाती या रोटी की कैटिगरी में रखा जाना चाहिए. लेकिन एएआर ने इससे काफी जुदा राय रखी है. एएआर पराठा को 1905 के अंतर्गत वर्गीकृत नहीं कर सकती इसलिए यह जीएसटी की 99ए एंट्री के तहत भी नहीं आएगा. गौरतलब है कि जीएसटी अधिसूचना के शेड्यूल 1 की एंट्री 99ए के तहत रोटियों को 5 प्रतिशत के स्लैब में रखा गया है.
गौरतलब है कि इस मामले को लेकर एक याचिका दायर कर मांग की गई थी कि मालाबार पराठे को ‘खाखरा, चपाती या रोटी’ की श्रेणी में घोषित किया जाए. लेकिन अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग्स (कर्नाटक पीठ) ने याचिकाकर्ता की इस मांग को खारिज कर दिया. जीएसटी नोटिफिकेशन के शेड्यूल 1, एंट्री 99 ए के तहत रोटी पर पांच फीसदी की दर से जीएसटी लगता है.एएआर के इस फैसले पर उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने भी चुटकी ली है. महिंद्रा ने ट्वीट कर कहा है कि देश में अन्य चुनौतियों की तरह अगर पराठा के अस्तित्व के संकट को लेकर हम परेशान होते हैं तो आप हैरान हो सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि मुझे पूरा यकीन है कि भारतीय जुगाड़ कौशल से ‘परोटीस’ (पराठा+रोटी) की नई नस्ल तैयार होगी जो किसी भी वर्गीकरण को चुनौती देगी.
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