सिटी पोस्ट लाइव : बिहार सरकार के कृषि विभाग में प्रमोशन घोटाला सामने आया है. विभाग के सूत्रों के अनुसार प्रमोशन में घालमेल का ये खेल लगभग पिछले 30 सालों से चल रहा है. राज्य के सभी प्रखंडों में बीएओ और कृषि निरीक्षक का पद संभाल रहे अधिकारी महज मैट्रिक, फोकॉनिया और मध्यमा डिग्री धारी हैं. ऐसे एक अधिकारी नहीं, बल्कि राज्य के 1315 अधिकारियों का प्रमोशन का यही आधार है. बीएओ और कृषि निरीक्षक बने इन सभी अधिकारियों की बहाली वीएलडब्ल्यू के पद पर हुई थी, जिसके बाद इन्हें बिना कृषि स्नातक के प्रमोशन दे दिया गया.
3000 कृषि समन्वयकों ने इसका खुलासा किया है जो सभी बीएओ और कृषि निरीक्षकों के अधीनस्थ कर्मचारी बनकर काम कर रहे हैं.उनका आरोप है कि उनके पास डिग्री बीएससी (एजी), बीटेक, बैचलर ऑफ वेटनरी साइंस, बैचलर ऑफ फिशरीज, बीटेक डेयरी के हैं लेकिन उन्हें मैट्रिक पास अधिकारियों को रिपोर्ट करना पड़ता है.सरकार के इस कारनामे को उजागर करनेवाले कृषि समन्वयकों ने आरोप लगाया है कि उनलोगों को अयोग्य अधिकारियों के अधीनस्थ रहकर काम करने में घुटन महसूस हो रही है.
ये कृषि समन्वयक कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा पास कर कृषि समन्यवक बने हैं. लेकिन योग्यता नहीं रखनेवालों को उनका अधिकारी बना दिया गया है. इस अनियमितता की जानकारी न सिर्फ विभाग में बैठे अधिकारियों को है, बल्कि कृषि मंत्री को भी है. यह खेल 30 वर्षों से चल रहा है.बिहार कृषि अधीनस्थ सेवा संवर्ग (प्रखंड कृषि पदाधिकारी) के पद पर प्रमोशन देने को कोर्ट भी गलत करार दे चूका है. इसके बावजूद कृषि विभाग ने आदेश के खिलाफ जाकर प्रोन्नति देने का काम किया जा रहा है.
नियमावली के विरुद्ध गैरकृषि स्नातक अयोग्य लोगों को बीएओ और कृषि निरीक्षक बनाने को लेकर वित्त विभाग ने 10 जुलाई 1997 को कृषि विभाग को पत्र जारी कर इसे गलत करार दिया था. साथ ही वेतन के रूप में मिले अतिरिक्त पैसे की रिकवरी तक का आदेश दिया था. इसके बावजूद न तो प्रोन्नति रद्द की गई और न ही पैसे रिकवर किए गए. कृषि समन्वयकों ने जो दस्तावेज सामने रखे हैं, उनमें प्रमोशन देने का खेल अब भी जारी है.
इस अनियमितता के बारे में कृषि मंत्री प्रेम कुमार का कहना है कि वो इस बारे में अधिकारियों से जबाब तलब करेगें.उन्होंने कहा कि अगर कहीं गड़बड़ी हुई होगी तो कार्रवाई होगी. उन्होंने यह भी कहा कि बीएओ और कृषि निरीक्षक सिर्फ मैट्रिक पास नहीं हैं, बल्कि डिप्लोमा हैं. गौरतलब है कि नियमावली में साफ है कि कृषि स्नातक ही बीएओ बन सकते हैं. डिप्लोमा भी तब कृषि विभाग ने करवाया जब सभी अधिकारी बन चुके थे. सबसे बड़ी बात तो ये है कि राज्य में बीएओ पदों पर 30 वर्षों से बहाली ही नहीं निकली है और वीएलडब्ल्यू को ही प्रमोट कर अधिकारी बनाया जा रहा है.
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