भला-चंगा दिखनेवाले कोरोना पॉजिटिव मरीजों की बढती संख्या से उडी सरकार की नींद.
ए सिम्प्टोमेटिक केसेज ने बढ़ाई मुश्किलें, प्रवासी मजदूरों में नहीं दिखाई दे रहे कोरोना के लक्षण .
सिटी पोस्ट लाइव :बिना किसी लक्षण वाले कोरोना मरीजों ने बिहार सरकार की नींद उड़ा दी है.अब ए सिम्प्टोमेटिक टॉइप के मरीज ज्यादा संख्या में मिल रहे हैं.राज्य में 80 प्रतिशत ऐसे मरीज मिले हैं जिनमें शुरुआती लक्षण में कहीं कोरोना प्रतीत नहीं हो रहा था जब तक कि उनके सैम्पल जांच की रिपोर्ट सामने नहीं आ गयी.सबसे ज्यादा ए सिम्प्टोमेटिक केस प्रवासी श्रमिकों में देखी जा रही है जो कि हाल में यानि 3 मई से अबतक यात्रा कर बिहार पहुंचे हैं. राज्य के कोविड अस्पतालों में तो पॉजिटिव की पुष्टि होने के बाद ही भर्ती लिया जा रहा है. लेकिन नन कोविड अस्पताल यानि आईजीआईएमएस, पीएमसीएच, एसकेएमसीएच समेत बाकि सभी नन कोविड अस्पताल जहां ओपीडी से लेकर इमरजेंसी मरीज भर्ती किये जा रहे हैं वहां चुनौती के साथ साथ परेशानी और बढ़ गयी है क्योंकि लकवा, किडनी, कैंसर, सुगर का इलाज करवाने आये मरीजों में भी कोरोना पॉजिटिव की पुष्टि हो रही है.
इन मरीजों को न तो बुखार, सर्दी, सांस में समस्या होती है ऐसे मरीज ए सिम्प्टोमेटिक श्रेणी में आ रहे हैं.आईजीआईएमएस के माइक्रोबायोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ एसके शाही के अनुसार प्रवासी बिहारी जो 5 से 6 दिनों में सफर कर बस, ट्रेन या पैदल बिहार पहुंच रहे हैं जिससे देर हो जाती है. देर हो जाने से न तो मरीजों को बिना जांच के संक्रमित होने का आभास होता है और ना ही मरीजों में कोरोना के कोई लक्षण भी दिखाई नहीं देता है. सैम्पल जांच में भी हाई रिस्क और लो रिस्क को ध्यान रखा जा रहा है ताकि ये पता चल सके कि ऐसे मरीजों से संक्रमण कितना हद तक फैल सकता है.
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने भी कहा कि बिहार में 80 प्रतिशत मरीज बिना लक्षण वाले मिल रहे हैं जिनको लेकर नन कोविड अस्पतालों में भी विशेष सावधानी बरती जा रही है और प्रवासी श्रमिकों से लेकर आम मरीजों के भी सैम्पल तेजी से लिये जा रहे हैं ताकि पॉजिटिव की पुष्टि हो सके. बिहार में बाहर से आ रहे लोगों के बाद कोरोना की स्थिति भयावह होती जा रही है और रोजाना अब भारी संख्या में पॉजिटिव केस सामने आ रहे हैं जो सरकार के लिए फिलहाल चिंता का सबब बनता जा रहा है.
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