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लालू की स्ट्रेटजी के तहत गोपालगंज पर काम कर रहे हैं तेजस्वी यादव, JDU की क्या है योजना?

लालू यादव के इस राजनीतिक चाल की काट के लिए JDU ने भी तैयार कर लिया है बड़ी स्ट्रेटजी.

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सिटी पोस्ट लाइव : रांची रिम्स से RJD सुप्रीमो लालू यादव ने बड़ा खेल कर दिया है. गोपालगंज हत्याकांड को लेकर नीतीश सरकार की घेराबंदी की रणनीति लालू यादव ने तैयार की है.इस रणनीति को अमलीजामा पहुंचाने में तेजस्वी यादव जी-जान से जुटे हुए हैं.पिछले दो दिनों में जिसतरह से तेजस्वी यादव इस हत्याकांड को लेकर जिस तरह से हमलावर है, नीतीश सरकार परेशान है.तेजस्वी का इस हत्याकांड को एक नरसंहार का रूप देना दरअसल लालू के ही मास्टरप्लान का हिस्सा है.

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि दरअसल इसी साल बिहार में चुनाव होने हैं. ऐसे में तेजस्वी और उनकी पूरी सेना इस मुद्दे को भुनाने और इसका चुनावी फायदा उठाने की कोशिश में है. घायल जेपी यादव के अलावे जो उनके परिवारवालों की इस गोलीकांड में जान गई है, ये सभी यादव जाति से आते हैं जो लालू और राष्ट्रीय जनता दल के कोर वोटर्स हैं.  सतीश पांडे और उनके छोटे भाई अमरेंद्र पांडे उर्फ पप्पू पांडे का लालू यादव और उनकी पार्टी से शुरू से ही छत्तीस का आंकड़ा रहा है.

लालू यादव का गोपालगंज एक पैतृक जिला भी है फिर भी अपने जिले में लालू अपनी राजनीतिक जमीन अबतक मजबूत नहीं कर पाए हैं. इसके पीछे एक बड़ी वजह सतीश पाण्डे और विधायक पप्पू पांडे का इनके खिलाफ खुलकर विरोध करना भी है.अब लालू यादव के जिले में पार्टी की पैठ मजबूत करने का जिम्मा उनके बेटे तेजस्वी यादव ने संभाल लिया है. तेजस्वी एक तीर से दो निशाने साधने में जुटे हैं.पहला इस मुद्दे को चुनाव तक ले जाकर इसका राजनीतिक फायदा उठाना है और दूसरा पांडे परिवार को हाशिये पर पहुंचा कर गोपालगंज में अपनी जमीन मजबूत करना है.

गौरतलब है कि इस हत्याकांड के बाद  सतीश पांडे और उनके बेटे को पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया है जबकि आरोपी जेडीयू विधायक अमरेंद्र पांडे उर्फ पप्पू पांडे पर पुलिस ने उनकी गिरफ्तार के लिए दवाब बढ़ाना शुरू कर दिया है.जैसे ही जेडीयू विधायक गिरफ्तार होगें तेजस्वी यादव का गोपालगंज में कब्ज़ा सुनिश्चित हो जाएगा.सूत्रों के अनुसार JDU भी इस लड़ाई को यादव बनाम पंडित और पिछड़ों की लड़ाई बनाने की रणनीति पर काम कर रही है.गौरतलब है कि जिले के अति-पिछड़े और दलितों के साथ यादवों की लड़ाई रहती है.ये अति-पिछड़े और दलित यादवों से लड़ने के लिए पाण्डेय परिवार का साथ देते रहे हैं.

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