मालिक ने लॉकडाउन में कैसे बनाया मजदूरों को गुलाम, जान लीजिए
दो महीने तक दिल्ली में 10 मजदूरों का उठाया पूरा खर्च फिर फ्लाइट से भेजा वापस बिहार.
सिटी पोस्ट लाइव : कोरोना को लेकर चल रहे लॉकडाउन ने मजदूरों का सरकार से, मजदूरों का मालिकों से मजदूरों का अपने समाज से जो रिश्ता है उसे तार तार कर दिया है. मजदूरों को सरकार से ढेर सारी शिकायतें हैं. अपने मालिकों से शिकायत है कि इस संकट की घड़ी में साथ नहीं दिया और उनके रिश्तेदार उनके संपर्क में आने से संक्रमित हो जाने के डर से दूर हो गए हैं, लेकिन कुछ ऐसे मालिक भी हैं जिन्होंने इस संकट में अपने मजदूरों को नहीं छोड़ा है. उनका पूरा ख्याल रखा है.
समस्तीपुर के रहने वाले 10 मजदूर दिल्ली में पप्पन सिंह गहलोत के लिए मशरूम की खेती करते हैं. मशरूम के खेतों में काम करते थे. सभी मजदूर पिछले 10 सालों से दिल्ली में एक ही मालिक के पास मशरूम की खेती करते थे. दिल्ली से लौटे मजदूर नवीन राम ने बताया कि लॉकडाउन से पहले काम खत्म कर सभी अपने घर समस्तीपुर आना चाहते थे. लेकिन इससे पहले ही लॉकडाउन लग गया और इस कारण वापस आना मुश्किल हो गया था. मालिक ने लॉक डाउन में उन्हें कोई परेशानी नहीं होने दी. ट्रेन और फ्लाइट जब चलना शुरू हुआ तो मालिक ने सभी 10 मजदूरों को फ्लाइट के जरिये वापस घर भेजा.
लॉकडाउन 4.0 (Lockdown 4.0) के दौरान सड़कों पर परिवार के साथ कंधे पर सामान रखकर हजार किलोमीटर पैदल चलकर घर पहुंचने की तस्वीरें सबने देखी है. लॉकडाउन के बीच लाचारी, बेबसी के कारण आज भी हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर ट्रक, बस, ट्रेन में भेड़ बकरियों की तरह भरकर अपने-अपने घरों को पहुंच रहे हैं, ऐसे में अगर कोई प्रवासी मजदूर (Migrant Workers) फ्लाइट से अपने घर को पहुंचे तो चौंकना लाजमी हो जाता है.
मालिक की इस दरियादिली पर मजदूरों को खुशी का ठिकाना नहीं है. वापस लौटे मजदूर जीवक राम का कहना है कि पिछले दो महीनों तक खाना पीना सब मालिक ने अपने पैसे से करवाया. दो महीनों में लगा ही नहीं कि हमलोग लॉकडाउन में रह रहे हैं. वापस लौटे मजदूर नवीन का कहना है कि घर के बाहर रात दिन लोगों को परिवार के साथ पैदल चलते देखता था. लोगों को देखकर रोंगटे खड़े हो जाते थे. लगता था कि हमलोगों को भी ऐसे ही जाना होगा पर मालिक ने फ्लाइट का टिकट कटाकर हाथ में दिया.
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