राम मंदिर पर गरमाई सियासत, मंदिर बनाने को लेकर मोदी सरकार पर बढ़ा दबाव
सिटी पोस्ट लाइव : देश के आम चुनाव में महज कुछ ही महीने बचे है देश का राजनीतिक पारा चढ़ रहा है। चुनाव आते ही नेताओं को राम याद आने लगें हैं। चुकी चुनाव नजदीक है इसलिए एक बार फिर राम मंदिर का मुद्दा गरमाया हुआ है। सर्वोच न्यायालय ने हाल ही में राम मंदिर के मुद्दे पर जनवरी से पहले सुनवाई करने से मना कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से ही केंद्र की मोदी सरकार पर लगातार अध्यादेश लाकर राम मंदिर बनाने का दबवा बढ़ता जा रहा है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या केंद्र की मोदी सरकार अध्यादेश लाकर अयोध्या में मंदिर बनाएगी? जब मामला सर्वोच न्यायालय में मामला विचाराधीन है तो क्या अध्यादेश लाकर मंदिर बनाना संभव है। इन सभी मुद्दों पर सिटी पोस्ट लाइव ने आंदोलन के सूत्रधार और पूर्व भाजपा नेता के.एन गोविंदाचार्य से बात की।
सिटी पोस्ट लाइव से बात करते हुए के.एन गोविंदाचार्य ने बताया कि राजनीतिक इच्छाशक्ति के आभाव के कारण राम मंदिर नहीं बन रहा है। मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश की आवश्यकता भी नहीं है। सवालों का जवाब देते हुए गोविंदाचार्य ने बताया कि विवादित ज़मीन का मालिक सरकार है इसलिए सरकार को लोगों के भावना को ध्यान में रखते हुए तुरंत राम मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अभी प्रदेश और केंद्र में एक ही विचारधारा की सरकार है इसलिए ये सबसे अनुकूल समय है मंदिर निर्माण के लिए।
गौरतलब है कि वर्तमान परिस्थिति में राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर गरमाया हुआ है। हाल ही में भाजपा के कई नेताओं ने भी राम मंदिर निर्माण के लिए आवाज़ तेज किया था। हाल ही में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा था कि अब हिन्दुओं का सब्र टूट रहा है। मुझे भय है कि अगर हिन्दुओं का सब्र टूटा तो क्या होगा? सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा- मुझे लगता है कि हमें यह देखने के लिए दिसम्बर में एक रिव्यू करना चाहिए कि राम मंदिर के मामले को जल्दी से स्थगित कर दिया जा रहा है या फिर कांग्रेस के वकीलों को इस मामले में देरी के लिए कुछ अन्य विषयों का आवेदन मिलेगा. यदि इसमें देरी हो रही है तो हमें कुछ करना होगा।
नई दिल्ली से आशुतोष झा की रिपोर्ट