शराबबंदी बना बिहार को राष्ट्रिय सम्मान दिलाने का जरिया ,राष्ट्रपति देगें यह सम्मान

City Post Live

सिटी पोस्ट लाईव : बिहार में पूर्ण शराबबंदी के दो साल से भी अधिक हो चुके हैं. शराबबंदी के दौरान जागरूकता के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पूरे बिहार में अबतक दो बार मानव श्रृंखला का आयोजन किया जा चूका है. दो साल से  21 जनवरी को यह मानव श्रृंखला का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. 2017 में  तीन करोड़ से अधिक लोगों की 12,000 किलोमीटर  लंबी मानव श्रृंखला बनाने को लेकर लिम्का बुक में नाम दर्ज हो चूका है. इस साल भी 21 जनवरी को मानव श्रृंखला बनाई गई, 14000 किलोमीटर से अधिक लंबी मानव श्रृंखला में साढ़े तीन करोड़ से अधिक लोगों ने भाग लिया .मानव श्रृंखला की चर्चा पूरे देश में हुई . शराबबंदी और सामाजिक कुरीति को लेकर इस तरह का कभी भी देश या देश से बाहर इतनी बड़ी मानव श्रृंखला नहीं बनाई गई थी. अब इसी मानव श्रृंखला के जरिये अल्कोहल के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने के लिए बिहार को राष्ट्रिय सम्मान मिलाने जा रहा है.

यह सम्मान राष्ट्रपति देनेवाले हैं. यह सम्मान  पूर्ण शराबबंदी को लेकर लोगों को जागरूक किये जाने के लिए मिल रहा है. इसके लिए राज्य साक्षरता मिशन ऑथोरिटी को चुना गया है. 26 जून को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दिल्ली के विज्ञान भवन में पुरस्कार देंगे. बेस्ट जागरूकता कैंपेन कैटेगरी में यह राष्ट्रीय पुरस्कार दिया जाएगा. गौरतलब है कि  21 जनवरी 2017 को शराबबंदी के समर्थन में राज्य में सबसे बड़ा मानव श्रृंखला बनाकर लोगों को शराब से दूर रहने का संदेश दिया गया था.

शराबबंदी को लेकर स्लोगन, पम्प्लेट्स और होर्डिंग बैनर से केकर तमाम तरह के  प्रचार माध्यमों का सहारा लिया गया .लेकिन सबसे बड़ा प्रचार का जरिया बना मानव श्रंखला जिसमे लाखों लोगों ने भाग लिया . अल्कोहल के खिलाफ इतने बड़े अभियान के लिए ही सोशल जस्टिस एंड एंपावरमेंट मिनिस्ट्री ने बिहार को यह राष्ट्रीय अवार्ड देने का फैसला किया है.जन शिक्षा निदेशक विनोदानंद झा ने जानकारी देते हुए कहा कि यह अवार्ड 26 जून को राष्ट्रपति देगें . विनोदानंद झा ने इस अवार्ड के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी लागू कर लोगों को जागरूक करने का मौका दिया. शराबबंदी पर सबसे बड़ी मानव श्रृंखला के आयोजन में अभूतपूर्व सफलता  मिली. यह पुरस्कार साक्षरता कर्मी, कला जत्था, जीविका दीदी, शिक्षक, अधिकारी और सभी बिहारियों का सम्मान है.

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