शकील और तारिक के सहारे मिथिलांचल-सिमांचल में चुनावी समर पार करने की कांग्रेस की तैयारी.

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव : लोक सभा चुनाव में बगावत करनेवाले पूर्व केंद्रीय मंत्री शकील अहमद (Shakeel Ahmed)  का निलंबन कांग्रेस पार्टी ने रद्द कर दी है. निलंबन को वापस लेने की घोषणा को विधानसभा चुनाव (Assembly elections) से जोड़कर देखा जा रहा है. दरअसल शकील अहमद बिहार में एक बड़े मुस्लिम नेता हैं. पुराने कांग्रेसी (Congress) हैं और  कांग्रेस पार्टी की तरफ से बीजेपी (BJP) के खिलाफ मोर्चा संभालते रहे हैं.पिछले साल लोकसभा चुनाव में शकील अहमद ने बिहार में महागठबंधन के प्रत्याशी के खिलाफ मधुबनी सीट पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. यहां तक कि शकील अहमद ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव भी लड़ा था. इसके चलते उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निलंबित कर दिया गया था.

माना जाता है कि लोकसभा चुनाव में शकील अहमद मधुबनी लोकसभा सीट (Madhubani Lok Sabha seat) से कांग्रेस का टिकट चाहते थे. हालांकि, महागठबंधन में सीटों के बंटवारे के बाद उनके हाथ खाली रह गए थे. गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में शकील अहमद ने सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मुलाकात की थी. इसके बाद से ही उनकी वापसी की अटकलें लगती रही हैं. आखिरकार विधानसभा चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस पार्टी ने शकील अहमद का निलंबन रद्द करने का फैसला लिया है.

पार्टी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव में शकील अहमद को बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है. इस पर अभी तक पार्टी की तरफ से कुछ भी नहीं कहा गया है. हाल में ही कांग्रेस पार्टी में  तारिक अनवर की भी वापसी हुई है.शकील अहमद और तारिक अनवर की वापसी को असदुद्दीन ओवैसी फैक्टर की काट के तौर पर भी देखा जा रहा है.

कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले सीमांचल के इलाके में असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी पैठ बना ली है. वहीं शकील अहमद के निलंबन के बाद पार्टी को मिथिलांचल में भी काफी नुकसान उठाना पड़ सकता था. दरअसल शकील अहमद मिथिलांचल में मुस्लिम और अगड़ी जाति के लोगों के बीच काफी पॉपुलर रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस चाहती है कि एक बार फिर उसका परंपरागत वोट बैंक इंटैक्ट हो जिससे कि चुनाव नतीजे बेहतर हों.

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