सिटी पोस्ट लाईव : संगीन अपराधिक मामलों का अभियुक्त बनाकर शब्जी बिक्रेता के नाबालिक और निर्दोष बेटे को तीन महीने पहले जेल भेंज देने के मामले में पटना आईजी ने दूध का दूध ,पानी का पानी कर दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर मामले की जांच कर रहे पटना ज़ोन के आईजी नैय्यर हसनैन ने पुलिसवालों को गुंडागर्दी करने का दोषी माना है. जोनल आईजी नैय्यर हसनैन खान ने दो थानों के 12 पुलिस वालों को दोषी पाया है. बाइपास के थानेदार राजेंद्र प्रसाद और अगमकुआं के थानेदार कामाख्या नारायाण सिंह समेत सभी 12 पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.आईजी ने डीजीपी से ये आग्रह भी किया है कि ईन पुलिसकर्मियों का भविष्य में कभी पटना में पोस्टिंग ना हो.
सस्पेंड होने वालों में अगमकुआं के एक्टिंग थानेदार रहे मुन्ना कुमार वर्मा भी शामिल हैं. इनके उपर इसलिए कार्रवाई की गई है कि अगमकुआं थाना में दर्ज केस 191/18 और 194/18 के वक्त कामख्या नारायण सिंह छुट्टी पर थे. उस दौरान सब इंस्पेक्टर मुन्ना कुमार वर्मा के हाथ में थाने की कमान थी. इन तीनों के अलावा बाइपास थाना में तैनात सब इंस्पेक्टर सुरेंद्र सिंह यादव, सिपाही बद्री शंकर, संदीप कुमार, राघवेंद्र धारी कमल, अगमकुआं थाना के सब इंस्पेक्टर अरविंद किशोर, सुशांत मंडल, सुचित कुमार, कांस्टेबल मनोज कुमार सिंह और सुरेंद्र कुमार को सस्पेंड किया गया है. खास बात ये है कि सस्पेंड पीरियड के दौरान इस्पेक्टर कामख्या नारायण सिंह को सहरसा डीआईजी के ऑफिस में अपनी हाजरी लगानी होगी. जबकि इंस्पेक्टर राजेंद्र प्रसाद को बेतिया डीआईजी के पास. दोनों को ही पटना जोन से बाहर कर दिया गया है.
हालांकि पुलिसवालों द्वारा शब्जी वालों से मुक्त में शब्जी वसूली किये जाने के आरोप को आईजी ने सहीं नहीं माना है क्योंकि इसका ठोस सबूत नहीं मिल पाया है.लेकिन शब्जी वाले के नाबालिक निर्दोष बेटे को बालिग़ साबित करने और मासूम बच्चे को एक खूंखार अपराधी साबित कर दिए जाने के आरोप को सही पाया है. आईजी ने खुद स्वीकार किया कि अगमकुआं थाना के खिलाफ शिकायतें काफी हैं. वहां तैनात पुलिस वालों की छवि सही नहीं है. आईजी ने सख्त रवैया अपनाते हुए जोनल आईजी ने अगमकुआं थाने में तैनात सारे पुलिस वालों को लाइन हाजिर कर दिया है. अब अगमकुआं थाना में थानेदार से लेकर सिपाही तक सारे नए पुलिस वाले होंगे.
अपनी जांच पड़ताल में आईजी इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि पुलिस ने बच्चे की गिरफ्तारी की जगह भी गलत दिखाई थी. आईजी की जांच में ये बात सामने आई कि पंकज को पुलिस वालों ने उसके घर से उठाया . लूट की बाइक भी पंकज के पास से बरामद होने का दावा झूठ निकला .आईजी की जांच रिपोर्ट के अनुसार गलत ढंग से चोरी की बाईक की रिकवरी पुलिस ने बच्चे के पास से दिखा दी थी. इतना ही नहीं पुलिस ने फर्जी ढंग से बच्चे के घर अवैध हथियार की बरामदगी दिखा दी . यानी उसे एक खूंखार अपराधी साबित करने के लिए पुलिस ने वो सबकुछ किया जो कानूनीरूप से एक संगीन अपराध है.
इस पूरे मामले में पटना सिटी के पूर्व एएसपी हरिमोहन शुक्ला को भी आईजी ने दोषी ठहराया है और उनके खिलाफ कारवाई की अनुशंसा डीजीपी से कर दी है. पटना सिटी के तत्कालीन एएसपी शुक्ल को सस्पेंड करने और उनके खिलाफ डिपार्टमेंट कार्रवाई किए जाने की अनुशंसा पुलिस हेड क्वार्टर से कर दी गई है. हालांकि जोनल आईजी ने इस केस में पूर्व एएसपी हरिमोहन शुक्ला से सात दिनों के अंदर स्पष्टीकरण देने को कहा है.
जेल में बंद नाबालिग पंकज जेल से तुरत रिमांड होम शिफ्ट करने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है. पुलिस टीम को कोर्ट से मेडिकल बोर्ड बैठाने के लिए अनुमति मांगने को कहा गया है. दरअसल, पटना के एसएसपी मनु महाराज को बाइपास थाना के 87/18, अगमकुआं के केस 191/18 व 194/18 की खुद से जांच करने और उसे सुपरवाइज करने को कहा गया है. इनसे तीन दिनों के अंदर रिपोर्ट मांगी गई है. इनके रिपोर्ट के आधार पर पंकज की रिहाई का फैसला लिया जाएगा.