सिटी पोस्ट लाइव : बिहार में बाढ़ का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. 12 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं. हजारों गावों में पानी घुस चूका है. छपरा (Flood in Chhapra) में बाढ़ से परेशान लोगों को अब बारिश ने भी परेशान कर दिया है. कई सड़कों और नहर के बांध पर शरण लिए बाढ़ पीड़ित तेज बारिश से बेहाल हैं. प्रशासन ने पीड़ितों की मदद के लिए जो आश्रय केंद्र बनाए हैं वो आश्रय केंद्र काफी दूर हैं. लिहाजा कई बाढ़ पीड़ितों ने पेड़ पर अपना आशियाना बना लिया है.छपरा जिले के पानापुर से ऐसे ही तस्वीर सामने आई है, जहां पानी से घिरे बाढ़ पीड़ितों ने एक पेड़ के ऊपर खटिया डालकर अपना आशियाना बना लिया है. परिवार अब इसी पर अपनी जिंदगी बसर कर रहा है.
बाढ़ पीड़ितों को अपने मवेशियों के भोजन की चिंता सता रही है. भूख से बेहाल प्लास्टिक के बनाए आशियाने में वे तो किसी तरह अपने परिजनों को छुपाए बैठे हैं लेकिन मवेशी खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं. बारिश और बाढ़ की वजह से मवेशियों के लिए चारे की समस्या उत्पन्न हो गई है.इस बीच मौसम विभाग द्वारा लगातार तीन दिन तक भारी बारिश की चेतावनी ने बाढ़ पीड़ितों की पेशानी पर बल ला दिया है. प्रकृति की इस दोहरी मार ने बाढ़ पीड़ितों का जीवन नारकीय बना दिया है.
स्थानीय प्रशासन बाढ़ पूर्व तैयारियों की उचित व्यवस्था का लाख दावा करे, लेकिन बारिश ने उनके दावे की हवा निकाल दी है. सीओ रणधीर प्रसाद ढाई हजार तिरपाल वितरण एवं दो दर्जन कम्युनिटी किचेन चलाने की बात कही, लेकिन आज भी अधिकांश बाढ़ पीड़ित खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं. वहीं कुछ ऐसे कम्युनिटी किचेन बनाए गए हैं, जहां बाढ़ पीड़ितों का पहुंचना मुश्किल है. प्रशासनिक उदासीनता के कारण बाढ़ पीड़ितों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. मशरक लखनपुर मार्ग पर राजापट्टी के पास शरण लिए सेमरी गांव के कुछ बाढ़ पीड़ितों ने मशरक सीओ पर पानापुर के बाढ़ पीड़ितों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया.