बच्चियों के लिए 12वीं तक की शिक्षा होगी अनिवार्य : रघुवर
सिटी पोस्ट लाइव, कोडरमा : राज्य में बच्चियों के लिए 12वीं तक की शिक्षा अनिवार्य की जाएगी। राज्य सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसके लिए सभी सहयोगी दलों एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों से समन्वय बनाकर विधेयक लाया जाएगा। रविवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास कोडरमा के बाघीटांड स्टेडियम में आयोजित बाल अधिकार सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। रघुवर दास ने कहा कि झारखंड को बाल श्रम मुक्त प्रदेश बनाने के लिए सरकार कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेगी। बाल मजदूरी समाज के लिए बहुत बड़ा कलंक है। देश के दूसरे प्रदेशों में झारखंड की पहचान बाल श्रम एवं महिला श्रम के लिए होती है। यह बहुत बड़ा धब्बा है। उन्होंने कहा कि बच्चों का सर्वांगीण विकास सरकार के साथ-साथ समाज की भी जिम्मेदारी है। इसके लिए सभी को आगे आकर भागीदारी निभानी होगी। कार्यक्रम को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष मयंक कानूनगो ने भी संबोधित किया। कहा, फाउंडेशन के कार्य और केंद्र सरकार के प्रयासों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। मौके पर विधायक सह शिक्षा मंत्री डॉ. नीरा यादव, विधायक जानकी यादव, विधायक मनोज कुमार यादव, उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त सुरेंद्र कुमार सिंह, कोडरमा के डीसी, एसपी, डीडीसी समेत अन्य लोग उपस्थित थे।
कोडरमा के 126 बालमित्र गांव के संयोजकों को मिलेंगे 500 रुपये प्रति माह
इस मौके पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कोडरमा जिले के 126 बालमित्र गांव के संयोजकों को 500 रुपये प्रति माह प्रोत्साहन राशि सरकार की ओर से देने का एलान किया। साथ ही, उन्होंने झारखंड में बाल श्रम के खिलाफ कानून को और भी मजबूती से लागू करने की बात कही। उन्होंने कहा कि बाल मजदूरी गरीबी की कोख से पैदा लेती है। इसलिए सरकार गरीबों और जरूरतमंदों को रोजगार देने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चला रही है। स्किल डेवलपमेंट के तहत बेरोजगारों को स्वरोजगार से जोड़ने और हजारों युवकों को सरकारी नौकरी देने का कार्य पिछले 4 वर्षों में कर चुकी है। आने वाले 12 जनवरी को सरकार ने एक लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा है।
नोबेल पुरस्कार में कोडरमा और झारखंड का बड़ा योगदान : कैलाश सत्यार्थी
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि हमारे नोबेल पुरस्कार में कोडरमा सहित पूरे झारखंड का बहुत बड़ा योगदान रहा है। यह कोडरमा में बाल श्रम मुक्त करने की दिशा में हमारे प्रयास का एक बड़ा प्रतिफल है। एक दशक पूर्व यहां की माईका खदानों काम करने वाले बच्चों को बालश्रम से मुक्त कराने की दिशा में फाउंडेशन के कार्यों की उन्होंने चर्चा की। कहा, कोडरमा सहित पूरे झारखंड की पहचान पूर्व में बाल मजदूरी के बहुत बड़े क्षेत्र के रूप में होती थी। कालांतर में विभिन्न संगठनों, जिला प्रशासन और राज्य सरकार के प्रयास से इसमें कमी आई है, लेकिन सफर अभी और तय करना है। रविवार को वे कोडरमा के बाघीटांड स्टेडियम में आयोजित बाल अधिकार सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
बाल श्रम मुक्त बनाने के लिए सरकार और कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन के बीच हुआ एमओयू
इससे पहले झारखंड को बाल श्रम मुक्त बनाने के लिए राज्य सरकार और कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन के बीच एक एमओयू हुआ। इस पर झारखंड के श्रम सचिव राजीव वर्मा और कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन की अधिशाषी निदेशक मालती ने हस्ताक्षर किए।