औद्योगिक नीति में लकड़ी आधारित उद्योग शामिल,अब किसानों को मिलेगा बाजार..

City Post Live

सिटी पोस्ट लाइव :बिहार सरकार दुसरे प्रदेशों से लौटे 30 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिए राज्य में उद्योग धंधे को बढ़ावा देने में जुट गई है.सरकार ने नई अधौगिक प्रोत्साहन निति को मंजूरी दे दी है.बिहार के  उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नई औद्योगिक प्रोत्साहन नीति में पहली बार काष्ठ आधारित उद्योगों को प्राथमिकता क्षेत्र में शामिल करने से राज्य के किसानों के करोड़ों पेड़ों को अब बाजार मिलेगा. 2012-13 से 2018-19 के बीच कृषि वानिकी को प्रोत्साहित किया गया जिसके परिणामस्वरूप किसानों ने निजी भूमि पर 5 करोड़ पाॅपुलऱ सहित अन्य प्रजाति के 8.82 करोड़ पेड़ लगाए हैं. इसके साथ ही बांस की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए दो-दो टिश्यू कल्चर लैब भी स्थापित किए गए हैं. लुगदी व कागज उद्योग, दियासलाई, प्लाईवुड, प्लाईबोर्ड, लेमिनेट व विनीयर, टिम्बर व चिरान तथा बांस आधारित उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा.

मोदी ने कहा कि कृषि वानिकी का उद्देश्य किसानों की आमदनी में वृद्धि करना है. पिछले 8-10 वर्षों में लगाए गए पेड़ अब परिपक्व हो गए हैं, जिन्हें काष्ठ आधारित उद्योगों को बेच कर किसान अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं. राज्य में फर्नीचर, गृह निर्माण, पैकिंग, कृषि सामग्री, खेल-कूद के सामान, प्लाईवुड, विनीयर व दियासलाई उद्योग के विकास की असीम संभावनाएं हैं.

कृषि रोड मैप के तहत बिहार में बड़ी संख्या में टिम्बर प्रजाति के सागवान, शीशम, महोगनी व गम्हार आदि के साथ करीब 5 करोड़ से अधिक पापुलर के पेड़ लगाए गए हैं. टिम्बर प्रजाति के पेड़ों की लकड़ियों का उपयोग जहां इमारतों व फर्नीचर उद्योग में होता है वहीं पाॅपुलर से प्लाईवुड, प्लाईबोर्ड व विनीयर आदि बनाए जाते हैं.

नई औद्योगिक प्रोत्साहन नीति में काष्ठ आधारित उद्योगों को शामिल करने से इन्हें बैंक ऋण पर ब्याज अनुदान, वैट की प्रतिपूर्ति व उद्योग लगाने के लिए खरीदी गई जमीन की रजिस्ट्री शुल्क का रिम्वर्समेंट,जमीन समपरिवर्तन व विद्युत से संबंधित सुविधाओं आदि का लाभ मिलेगा. न्यूनतम 25 लाख या उससे अधिक निवेश करने वाले और 25 या उससे अधिक कामगार वाले काष्ठ आधारित उद्योग इन लाभों को ले सकते हैं.

Share This Article