भारत का एक गाँव जहाँ रक्षा बंधन को लोग मानते हैं काला दिन.

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सिटी पोस्ट लाइव : कल देश भर में भाई-बहनों का पर्व रक्षा बंधन मनाया जाएगा.लेकिन देश का एक गावं ऐसा भी है सुराना जहाँ, इस दिन लोग काला दिन मनायेगें.उत्तर प्रदेश के जनपद गाजियाबाद के मोदीनगर इलाके के सुराना गांव के लोग 12 वीं सदी से रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाते हैं. रक्षाबंधन के दिन ही मोहम्मद गोरी ने इस गांव पर आक्रमण कर किया था. तभी से यहां की लड़कियां रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाती हैं और भाइयों की कलाई सूनी रहती है.इस गांव के लोग रक्षाबंधन के दिन को बेहद अशुभ मानते हैं और रक्षाबंधन को त्योहार के रूप में नहीं बल्कि इसे काला दिन मानते हैं

रक्षाबंधन का त्योहार ना मनाने वाला हजारों वर्ष पुराना सुराना नाम का यह गांव दिल्ली से सटे गाजियाबाद से करीब 30 किलोमीटर दूरी पर मोदीनगर इलाके में स्थित है. बताया जाता है कि इस गांव की बहू तो अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, लेकिन इस गांव की लड़कियां रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाती हैं. यानी गांव के भाइयों की कलाई सदियों से इस दिन सूनी रहती है.सुराना गांव में रहने वाले जगदीश, धर्मेंद्र,सतवीर, और एक महिला रजवंती ने बताया कि उनके बुजुर्ग बताते आए हैं कि इस गांव पर मोहम्मद गोरी ने कई बार आक्रमण किया था.लेकिन जब वह आक्रमण करने आता तो हर बार उसकी सेना अंधी हो जाती थी, और उसे उल्टे पांव वापस लौटना पड़ता था.

गाँव के लोगों की मान्यता है कि  गांव में एक देव रहते थे जो पूरे गांव की सुरक्षा करते थे. रक्षाबंधन के दिन हिंदू धर्म के सभी लोग व देव भी गंगा स्नान करने चले गए थे. यह सूचना गांव के ही एक मुखबिर के द्वारा मोहम्मद गोरी को दी गई. मोहम्मद गोरी ने इस अवसर का फायदा उठाते हुए गांव पर आक्रमण कर दिया. गांव के सभी लोगों को हाथों से कुचलवा दिया.यानी इस पूरे गांव को तबाह कर दिया. उस समय इस गांव की केवल एक गर्भवती महिला ही बची थी जो कि अपने मायके अपने भाइयों को राखी बांधने गई हुई थी.

रजवंती ने बताया कि तभी से इस गांव के लोग रक्षाबंधन के दिन को बेहद अशुभ मानते हैं और रक्षाबंधन को त्योहार के रूप में नहीं बल्कि इसे काला दिन मानते हैं. तभी से यह प्रथा चली आ रही है कि इस गांव की लड़कियां अपने भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांधती हैं. लेकिन जो यहां की बहू हैं वे रक्षाबंधन का त्योहार अपने घर जाकर मनाती हैं. इतना ही नहीं इस गांव के लोग यदि कहीं दूसरी जगह भी जाकर बस गए हैं वो भी रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाते हैं.

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