मध्य प्रदेश से सुशांत की रिपोर्ट .
अब संतों की इंट्री राजनीति में भी होने लगी है .मध्य प्रदेश सरकार ने हिन्दू संतों को राज्य मंत्री का दर्जा देना शुरू कर दिया है .सरकार ने पांच हिंदू संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया है .इस नयी राजनीतिक शुरुवात को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं क्योंकि इन में से दो संतों ने शिवराज सिंह सरकार के ख़िलाफ ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ निकालने का ऐलान किया था.इस यात्रा के दौरान ये लोग सरकार की तरफ़ से आयोजित ‘नर्मदा यात्रा’ पर सवाल करना चाहते थे और इस यात्रा के दौरान हुए कथित घोटाले को भी सामने लाने वाले थे लेकिन उसके पहले ही सरकार ने उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा देकर विवाद पैदा कर दिया है.
कांग्रेस ने इसे सियासी क़दम क़रार देते हुए कहा है कि चुनाव से पहले इन संतों को चुप कराने और इनका फ़ायदा लेने के लिए ये क़दम उठाया गया है.जिन संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है उनके नाम हैं – भय्यू महाराज, कंप्यूटर बाबा, नर्मदानंद महाराज, हरिहरानंद महाराज और योगेंद्र महंत.
सरकार के आदेश के मुताबिक दिनांक 31 मार्च, 2018 को प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में, विशेषतः नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल संरक्षण तथा स्वच्छता के विषयों पर जन जागरूकता का अभियान निरंतर चलाने के लिये विशेष समिति गठित की गई है.इस समिति के पांच विशेष सदस्यों को राज्य मंत्री स्तर का दर्जा प्रदान किया गया है.
गौरतलब है कि समिति में शामिल कंप्यूटर बाबा एक अप्रैल से 15 मई तक प्रदेश के प्रत्येक जिले में ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ निकालकर नर्मदा नदी की बदहाल स्थिती को लोगों के सामने लाने वाले थे . कंप्यूटर बाबा ने ख़ास तौर पर नर्मदा किनारे छह करोड़ पेड़ लगाने के सरकारी दावे पर सवाल उठाए थे. इसके साथ ही वे नर्मदा में जारी अवैध उत्खनन के मुद्दे को भी उठाने वाले थे.लेकिन राज्यमंत्री का दर्जा मिलाने के बाद बाबा के स्वर बदल गए हैं और अब वो कह रहे हैं कि “सरकार ने साधु-संतों के समिति बना दी है. अब यात्रा निकालने का कोई औचित्य नही हैं.”
महंत योगेंद्र भी ‘नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ में संयोजक के तौर पर काम कर रहे थे. अब वो भी राज्यमंत्री का दर्जा पाने के बाद अपनी यात्रा को स्थगित कर चुके हैं.तीसरे संत भय्यू महाराज भी भाजपा के क़रीबी माने जाते हैं. भय्यू महाराज का अच्छा ख़ासा असर महाराष्ट्र में भी देखा जा सकता है.
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी अपनी ‘नर्मदा यात्रा’ को अगले हफ्ते समाप्त करने वाले हैं. इसके बाद वो फिर राजनीति में सक्रिय हो जाएंगे.वो पिछले कई महीनों से जारी अपनी ‘नर्मदा यात्रा’ में सरकार की ‘नर्मदा यात्रा’ के दौरान हुई गड़बड़ियों के लिए सबूत जुटाते रहे हैं.माना जा रहा है कि इन संतों को दिग्विजय सिंह के क़रीब जाने से रोकने के लिए भी सरकार ने ये चाल चली है.गौरतलब है कि संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने का अपने देश में यह पहला मामला है.