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प्राचीन एवं अर्वाचीन संस्कृति का विलक्षण समन्वय था डॉ. जयमंत में : कमलाकांत

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#citypostlive दरभंगा : चंद्रधारी मिथिला महाविद्यालय के संस्कृत विभाग और इंदिरा प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में ‘महामहोपाध्याय आचार्य डॉ. जयमंत मिश्र: व्यक्तित्व एवं कृतित्व’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राष्टÑीय संस्कृत संस्थान नई दिल्ली के पूर्व निदेशक डॉ. कमलाकांत मिश्र ने कहा कि डॉ. मिश्र संस्कृत जगत के अद्वितीय विद्वान थे। जिनमें भारत की प्राचीन एवं अर्वाचीन संस्कृति का विलक्षण समन्वय था। पूर्व कुलपति प्रो. देवनारायण झा ने कहा कि डॉ. मिश्र को साहित्य, व्याकरण और दर्शन में समान अधिकार था। जिनके बल पर उन्हें महामहोपाध्याय की उपाधि मिली। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य डॉ. मुस्ताक अहमद ने की। इस मौके पर डॉ. विघ्नेशचंद्र झा, डॉ. जयशंकर झा, प्रो. विश्वनाथ झा, डॉ. प्रभात कुमार चौधरी, डॉ. गिरीश कुमार, डॉ. रूद्रकांत अमर, डॉ. मंजू राय, डॉ. अमरेन्द्र शर्मा, डॉ. सच्चिदानंद स्रेही, डॉ. योगेन्द्र महतो, डॉ. दीनानाथ साह, डॉ. दिलीप कुमार चौधरी, डॉ. परमानंद झा, महेश कांत झा, डॉ. प्रभाषचंद्र झा आदि उपस्थित थे। अतिथियों का स्वागत इंदिरा झा, संचालन डॉ. मित्रनाथ झा और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आर.एन चौरसिया ने किया।

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