डीएमसीएच के स्त्री एवं प्रसुति विभाग में लापरवाही का मंजर

City Post Live - Desk

#citypostlive लहेरियासराय : एक तरफ राज्य सरकार सरकारी अस्पतालो में ईलाज कराने के लिए घोषणा करती है। वहीं दूसरी तरफ डीएमसीएच के गैनिक वार्ड में चिकित्सको की लापरवाही को लेकर मरीज जीवन और मौत के बीच मे पहुंच जाती है। जिसे मजबूर होकर सरकारी अस्पतालो से निजी अस्पतालो में पलयान कर रहे है। ऐसा ही नजारा दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के गैनिक वार्ड में शनिवार को देखने को मिला। जब अस्पताल प्रशासन एंव चिकित्सको के द्वारा लापरवाही बरते जाने की बजह से आधे दर्जन महिला मरीजो के सिजिरियन आॅपरेशन के बाद लगाये गये टाके के टूटने की खबर से अस्पताल मे खलबली मच गयी। इस संबंध में प्रभारी अस्पताल प्रभारी अधीक्षक डा. बालेश्वर सागर से पूछा गया, तो उन्होने मामलो की पुष्टि करते हुए कहा कि उन्हें भी इसकी जानकारी मिली है। इसको लेकर तीन सदस्यीय जांच कमिटी गठित की गयी है। जिसमे अस्पताल उपाधीक्षक, गैनिक वार्ड के विभागाध्यक्ष और एक सर्जन को रखा गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कारवाई की जाएगी। ज्ञात हो कि डीएमसीएच मे ईलाजरत तारिक अहमद अंसारी की पत्नी जीनत जहाँ, अतुल कुमार साह की पत्नी आषा देवी, राम स्वार्थ साह की पत्नी कल्पना देवी, अषोक कुमार महतो की पत्नी विभा कुमारी आदि का आॅपरेशन एक सप्ताह से लेकर पंद्रह दिनो के अंदर हुआ था, लेकिन इन सभी के साथ लापरवाही बरती गयी। ये सभी मरीज डॉ. शाशि बाला प्रसाद यूनिट की है। इनके परिजन का कहना है कि न सिर्फ लापरवाही की वजह से पेट का टाका टूटा है बल्कि कई ने पैदा हुए बच्चे को खो दिया है। दरभंगा के जाले में कार्यरत तारिक अहमद असांरी का कहना है कि उनके नवजात को फेफड़े में पानी हो गया था, लेकिन उचित ईलाज के लिए नही भेजा गया था, तो उनके बच्चे की मौत हो गयी। इसको लेकर वह कानूनी लड़ाई भी लड़ेगे। इतना ही नहीं जो मरीज सबल थे, वह ईलाज के लिए सरकारी अस्पतालो ने चिकित्सक की लापरवाही को लेकर वे अपने-अपने मरीज को निजी अस्पतालो में पलयान कर गये, लेकिन जो मरीज आर्थिक रूप से कमजोर थे। वह अभी भी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जुझ रहे है। अब देखना है कि अस्पताल प्रशासन द्वारा मरीजो की देखभाल के लिए डॉक्टरो को वक्त पर उपलब्ध करा पाती है या फिर जाचं टीम का ही सहारा लेकर मामले का लीपा-पोती तो नहीं करेंगी।

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