किसानों के लिए मृग मरिचिका बनी सरकारी सहायता

City Post Live - Desk

#citypostlive हनुमाननगर : क्या करे इस क्षेत्र के किसान, कहां जाय राहत पाने, यहां के लोगों के लिए यक्ष प्रश्न बनकर खड़ा है। सरकार के कृषक और कृषि हितैषी योजनाएं, यहां के किसानों के लिए “मृग मारिचिका ” बन गई है। भीषण सुखाड़ की दंश झेल रहे क्षेत्र को सुखाड़ क्षेत्र तो सरकार ने घोषित कर दिया, लेकिन इससे निपटने के लिए सरकार का संशाधन ऊंट के मुंह में जीरा का फोरन वाली कहावत चरितार्थ कर रही है और जिला तथा प्रखंड का कृषि विभाग पीड़ित किसानों को सरकारी सहायता ससमय मुहैया कराने के बदले गांव-गांव में चौपाल लगाकर ज्ञान बांटकर जले पर नमक छिड़कने में लगा हुआ है। प्राकृतिक आपदा की आशंका से घिरे यहां के लोगों का जनजीवन एक फसला खेती पर निर्भर हैं। रब्बी की खेती पर मुख्य रुप से लोग आश्रित हैं। पहले सूखे ने लोगों के गरमा की फसल लील लिया। रही सही कसर रब्बी फसल की बोआई के लिए खेतों में नमी का अभाव ने पुरी कर दिया है। वैज्ञानिक कृषि के युग में भी कुल 14 पंचायत के दर्जनों राजस्वग्राम में पटवन के लिए महज 11 राजकीय नलकूप मात्र स्थापित हैं। वहीं बागमति नदी के किनारे बसे गांव के खेतों की पटवन के लिए एक दर्जन भूगर्भीय नलकूप (लिफ्पित ट एरिगेशन)1980 में स्थापित गये थे, लेकिन आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि क्षेत्र के सभी राजकीय नलकूप बर्षों से बंद पड़े हैं। वहीं सभी भूगर्भीय नलकूप बागमती की गर्भ में समां चुके हैं तथा 21वीं शताब्दी में भी इस विशाल भू-भाग के लोग या तो निजी संशाधन पर या मौसम की बर्षा पर निर्भर रहते हैं। ऐन केन प्रकारेण लोगों ने परती पड़े खेतों को पटाकर बोआई करना चाहते हैं, तो सरकार की घोषणा के अनुकूल अनुदानित दर पर बीज नही मिल रहा है। जिसके कारण लोगों में हाहाकार मची हुई है। वहीं कृषि विभाग खेतों में नमी की कमी की स्थिति में दलहन बोआई का मुफ्त में सलाह तो बांट रही है, परन्तु अभी तक एक भी किसान को एक छटांक दलहन का बीज उपलब्ध नही कराया है तथा लोगों को जिला से बीज आवंटन होने का आश्वासन बांट रहा है। स्थिति की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नवम्बर माह बीतने के कगार पर है, लेकिन जिला कृषि कार्यालय से 14 पंचायतों के लिए मात्र 250 बैग (सवा सौ क्वींटल) गेहूं बीज उपलब्ध कराई गई है। महज चंद किसानों को बीज आपूर्ति की कागजी खानापूर्ति कर दो दिनों के अन्दर हीं बीज की अनुपलब्धता की बात कहकर टरकाया जा रहा है। वहीं दलहन और तेलहन का एक छटांक बीज एक भी किसानों को नही दी गई है। इससे इतर सरकार ने सुखाड़ क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए डीजल अनुदान देने का ऐलान तो कर दिया है, लेकिन स्थिति यह है कि गरमा फसल की सिंचाई पर मिलने वाला डीजल अनुदान भी लोगों से प्राप्त आवेदन के अनुरूप भुगतान नही किया है। ऐसे में रब्बी की पटवन पर डीजल अनुदान मिलने की बात हवा-हवाई दिख रहा है। एक तो खेतों में नमी की कमी से बेहाल किसानों को मंहगे दर पर बीजों का क्रय कर खेतों की बोआई करना टेढी खीर साबित हो रही है। बीजों की बाबत पुछने पर बीएओ उदयशंकर ने बताया की मांग के अनुरूप अनुदानित बीजों की जिला से आपूर्ति नहीं किया गया है। जिला से बीज उपलब्ध होते हीं शीध्र वितरण करा दी जाएगी। राजद किसान प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष रामनरेश यादव ने कहा कि सरकार की कृषि विकास की योजनाएं विभागीय लापरवाही से बिचौलिए का चारागाह बना हुआ है। इसका सबूत विभागीय कम्प्यूटरों में हीं बंद है। आगे कहते हैं कि सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों को कैसे मिलेगी, जबकि अधिकारी हीं संवेदनशील और संजीदा न रहे।

Share This Article