कस्बाई इलाके की धमक, बला की खूबसूरत निशा मायानगरी में बनाएगी अपना कैरियर
सिटी पोस्ट लाइव, स्पेशल : कोयले की खान से हीरे निकलते हैं,तो कस्बाई इलाके से कोहिनूर अभिनेत्री क्यों नहीं? सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के सरोजा पंचायत के गलफरिया गांव निवासी अजय वाडेकर व इंदु वाडेकर की पुत्री निशा कुमारी ने कत्थक नृत्य से अपनी बेहतरीन और अजीम पहचान बना ली है। निशा युवा महोत्सव में कत्थक नृत्य की प्रस्तुति देकर काफी ख्याति अर्जित कर चुकी है। बिल्कुल रिमोट इलाके के एक छोटे से गांव से निकली इस लड़की ने अपनी प्रतिभा से कत्थक नृत्यांगना के रूप में कोशी क्षेत्र ही नहीं बल्कि पुरे बिहार में प्रतिभावान कलाकार के रूप में अपना डंका बजाया है और बतौर नृत्यांगना वह स्थापित भी हो चुकी है। महज 15 वर्ष की कच्ची उम्र में कत्थक नृत्यांगना निशा वाडेकर को अभिनय में खासी अभिरुचि है। इप्टा से जुड़कर,उसने कई नाटकों के जरिये अपनी अमिट छाप छोड़ी है।
निशा ने कहा है कि उसकी ख्वाहिश है की भविष्य में वह एक सफल फिल्म अभिनेत्री बने। 10 वर्ष की उम्र से ही निशा कत्थक सीखना शुरू कर दिया था। सबसे पहले जिला मुख्यालय के प्रसिद्ध शशि सरोजनी रंगमंच संस्थान से जुड़ी और जिला व प्रमंडल स्तर पर अपनी प्रस्तुति से लोगों की चहेती बन गयी। निशा कहती है की वह पहले अपने घर में टेलीविजन पर डांस के स्टेप को देख-देख कर डांस करती थी और घर वालों ने उसकी लगन देखकर उसे विधिवत कत्थक नृत्य सिखाना शुरू कर दिया। अपने माता-पिता को प्रेरणास्त्रोत बताते हुए निशा कहती है की घरवालों ने मुझे बराबर सहयोग किया और पढाई के साथ-साथ नृत्य का दौर भी बदस्तूर चलता रहा। वर्ष 2019 में आयोजित होने वाली बोर्ड की परीक्षा देने की तेयारी में निशा अभी जुटी हुई है। निशा के पिता अजय वाडेकर प्रसिद्ध गायक हैं।
लेकिन अवसर के अभाव और सही प्लेटफॉर्म नहीं मिलने की वजह से वे देश स्तर पर अपनी पहचान नहीं बना सके। बताना लाजिमी है कि वर्ष 2014 में निशा राजगीर में आयोजित युवा महोत्सव में कत्थक नृत्य की प्रस्तुति दे चुकी है। हाल ही में बीते नवंबर माह में सहरसा ग्रुप द्वारा आयोजित कोशी फिल्म फेस्टिवल में भी निशा को नृत्य करने का अवसर मिला जिसमें उसने खूब सुर्खियां बटोरी। अभी सहरसा की बेटी उल्का गुप्ता मायानगरी में धूम मचा रही है। निशा भी उसी राह पर चल रही है ।सिटी पोस्ट लाइव परिवार, उसके दमदार भविष्य की कामना करता है।
सहरसा से संकेत सिंह की स्पेशल रिपोर्ट