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नालंदा में विदेशी मेहमानों ने खेली होली, खूब उड़ाया रंग.

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सिटी पोस्ट लाइव : नालंदा जिला के अस्थावां प्रखंड अमावां इस्टेट का किला में होली समारोह का रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन हुआ.इस समारोह में विदेशी मेहमानों ने जमकर भारतियों के साथ होली खेली. अमावां में आए 12 देशों 70 के विदेशी मेहमानों का भव्य स्वागत किया गया. विदेशी मेहमान बनारस घूमने आये थे और वहां से गया पहुंचे थे.विदेशी मेहमानों ने होली होली खेली और जमकर होली गीतों पर ठुमके भी लगाए.कलाकृतियों से ओतप्रोत इस किला में 52 कोठरी 53 द्वार व सात आंगन है. इस्टेट में महामारी से बचाव करने की पुख्ता व्यवस्था थी. करीब 100 वर्ष पहले बना भवन की कलाकृति आज भी लोगों को मन मोह लेता है.इस मौक़े पर प्रपौत्र हर्षेन्द्र ने कहा कि इंगलैड में हमारी बहन की बहुत बड़ी कंपनी है. अधिकांश विदेशी मेहमान हमारी बहन की कंपनी के साथ जूड़े हुए हैं. विदेशी मेहमान बनारस घूमने आये थे और वहां से गया गए. हमारे आग्रह पर सभी गया से अमावां आये हैं.

सबसे ख़ास बात अधिकांश विदेशी मेहमान हिन्दू धर्म को अपना लिया है. भगवान कृष्ण कि महारास देख झूमे. विदेशी फूलों की खेली होलीनालंदा के अमावां राज की धरती पर आए विदेशी मेहमानों ने भगवान श्री कृष्ण के महारास में भोलेनाथ की एक दिन वो भोले भंडारी बन के ब्रज कि नारी गोकूल में आ गए. गीतों पर जमकर झूमें.पहले विदेशी मेहमानों ने फूलों की होली खेली. उसके बाद एक दूसरे को गुलाल लगाकर अभिवादन किया. इस दौरान लोग भक्ति रस में डूवे गए. इंग्लैंड के किंग एडवर्ड आए थे अमावांराजा हरिहर नारायण प्रसाद सिंह के पौत्र हर्षेन्द्र कुमार व पत्नी रीता शाही ने कहा कि इंग्लैंड के गद्दी पर जब किंग एडवर्ड बैठे थे. उस समय अमावां राज की सलतनत देखने आए थे.किले की नक्काशी देख लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. अंग्रेजी हुकूमत के समय जब क्षेत्र में शिक्षा व स्वास्थ्य का काफी अभाव था इलाज के लिए अस्पताल नहीं था. उस जमाने में स्वास्थ्य के लिए लाभ के लिए आमावां आयुर्वेदिक अस्पताल आते थे. शिक्षा के लिए संस्कृत कॉलेज बनवाया था.

लोग कहते हैं कि जब ग्रामीण इलाकों में बिजली का नामोनिशान नही था तो उस समय अमावां इस्टेट में बिजली जलती थी. इस्टेट का अपना पावर सब स्टेशन था. नालंदा से टेकारी तहसील तक राजा हरिहर नारायण प्रसाद सिंह कि जमींदारी फ़ला हुआ था. अमावां में आए 12 देशों 70 के विदेशी मेहमानों का किया गया भव्य स्वागत. राजा साहब के पौत्र, प्रपौत्र व पौत्रबधू ने फूलों की माला व गमछा देकर सम्मानित किया.

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