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दो विश्ववविद्यालयों ने UGC को भेजा ओपेन बुक सिस्टम एग्जाम का प्रस्ताव.

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दो विश्ववविद्यालयों ने UGC को भेजा ओपेन बुक सिस्टम एग्जाम का प्रस्ताव.

सिटी पोस्ट लाइव :कोरोना संकट के बीच कुछ विश्विद्यालयों के ऑनलाइन ओपेन बुक सिस्टम एग्जाम के प्रस्ताव सामने आ गए हैं.इस प्रस्ताव के अनुसार  पांच लाख के करीब एलएनएमयू यानि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के होंगे परीक्षार्थी. डेढ़ से दो लाख के बीच हैं पूर्णिया विश्वविद्यालय के परीक्षार्थी..आईटी के तमाम प्रोविजन्स और क्वेश्चन्स के जवाब प्रणाली के लिए तय कर लिये गये हैं. कुछ आईटी एजेंसी जो इस सिस्टम का अनुभव रखती हैं उन्हे भी चिन्हित किया गया है. एक घंटे की होगी ऑनलाइन परीक्षा..किताब खोलकर छात्र दे सकेंगे सवालों का घर बैठे सवाल का ऑनलाइन जवाब. सभी प्रश्न ऑब्जेक्टि स्टाइल के होंगे. एक समान नहीं होंगे प्रश्न. रेंडमाइजेशन के थ्रू होगा स्टूडेंट को  क्वेश्चन्स पेपर सर्व, क्वेश्चन्स पेपर का सीक्वेंस भी होगा अलग-अलग, छात्र व्हाट्स एप के माध्यम से भी ले सकते हैं परीक्षा में भाग,12. गरीब, ग्रामीण और मोबाइललेस छात्रों के लिए अनुदानित दर और किस्त पर भुगतान से मोबाइल देने का परीक्षा पूर्व है प्रस्ताव.

ललित नारायण मिथिला विश्ववविद्यालय (LNMU) और पूर्णिया विश्ववविद्यालय (PU)  ने जारी सत्र के बैचलर और मास्टर डिग्री सहित तमाम पाठ्यक्रमों के लिए ओपेन बुक सिस्टम से परीक्षाएं लेने का एक नया प्रस्ताव यूजीसी के चेयरमैन को भेजा है. लॉकडाउन  (Lockdown) के बीच ऑनलाइन परीक्षा (Online exam) लेने के संबंध में दोनों विश्ववविद्यालयों के मौजूदा कुलपति डॉ राजेश कुमार (Vice Chancellor Dr. Rajesh Kumar) ने बताया कि यह सिस्टम पूरी तरह सफल होगा. इस वजह से छात्रों के सेशन लेट नहीं होगे और न ही लॉकडाउन का असर इन दोनों  विश्ववविद्यालयों के छात्रों पर पड़ेगा.

कुलपति ने कहा कि इस नयी परीक्षा प्रणाली के लागू होने को लेकर लोगों में सवाल भी है पर लॉकडाउन के बीच दोनों विश्वविद्यालयों के विभिन्न पाठ्यक्रमों के सेशन लेट न हो इसलिए ओपेन बुक सिस्टम के साथ ऑनलाइन परीक्षाएं करायी जानी चाहिए.  इसका प्रस्ताव पूरी तरह तैयार करके यूजीसी के चेयरमैन के भेज दिया है और इसकी सूचना राजभवन को भी दे दी है.कुलपति के मुताबिक विश्वविद्यालय के प्राचार्यों और शिक्षकों के बीच यह सवाल आया था कि क्या यह परीक्षा प्रणाली सफल हो सकेगी. इसे लेकर सभी तरह के प्रशासनिक और तकनीकी जवाब और उपाय खोज लिये गये हैं और यह सहमति बनी है कि दोनों विश्वविद्यालयों में यूजीसी की हरी झंडी मिलने पर यह प्रक्रिया कर ली जायेगी.

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