बिहार के इस गावं में दिवाली में लक्ष्मी की जगह क्यों हो रही है इस बहू की पूजा?
सिटी पोस्ट लाइव : लड़कियों को लड़कों जैसी पढने लिखने की आजादी मिले तो वो कुछ भी कर सकती हैं.बिहार के गोपालगंज जिले के एक गावं बहू ने शादी के बाद भी अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी. अपनी अथक मेहनत से पहले ही प्रयास में यूपीपीसीएस (UPPSC) की परीक्षा में सफल हो गई.वह यूपी में सहायक आयुक्त के पद पर तैनात हैं.जब गांव की यह बहू परीक्षा पास करने के बाद पहली बार अपने ससुराल पहुंची तो वहां सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण उनके स्वागत के लिए यूपी की सीमा पर गाजे-बाजे और हाथी घोड़े के साथ पहुंच गए.
कुचायकोट के जलालपुर गांव के बिजनेसमैन दुर्गेश सिंह से प्रमिता सिंह की शादी वर्ष 2016 में हुई थी. शादी के बाद भी प्रमिता पढ़ना चाहती थी. प्रमिता ने दिल्ली में हॉस्टल में रहकर अपनी तैयारी की और उसने वर्ष 2017 में यूपीपीसीएस की परीक्षा को पहले ही प्रयास में अच्छे नम्बरों से पास कर ली. प्रमिता आज यूपी में सहायक कमिश्नर के पद पर तैनात हैं.
बिजनेसमैन दुर्गेश सिंह से प्रमिता सिंह की शादी वर्ष 2016 में हुई थी. शादी के बाद भी प्रमिता पढ़ना चाहती थी. प्रमिता ने दिल्ली में हॉस्टल में रहकर अपनी तैयारी की और उसने वर्ष 2017 में यूपीपीसीएस की परीक्षा को पहले ही प्रयास में अच्छे नम्बरों से पास कर ली. प्रमिता आज यूपी में सहायक कमिश्नर के पद पर तैनात हैं.गांववालों को जब इस बात की सूचना मिली कि उनके गांव की अफसर बहू शादी के बाद दूसरी बार अपने ससुराल वापस लौट रही हैं तो ससुराल पहुंचने से पहले ही लोग अपने गांव की बहू के भव्य स्वागत के लिए सडकों पर उतर आए और फूल छिड़कर उनका स्वागत किया.
प्रमिता सिंह ने कहा कि आज ससुरालवालों के सहयोग से वह कुछ उपलब्धि हासिल कर सकी है. इसमें सबका सहयोग है. स्त्री को भी पूरा सम्मान मिलना चाहिए और आज लोगों को अपनी सोच बदलने की जरूरत है ताकि लड़कियां भी समाज में अपना नाम रोशन कर सके. प्रमिता के ससुर प्रहलाद सिंह ने कहा किउन्होंने कभी भी बेटी और बहू में कोई अंतर नहीं किया. उन्होंने अपनी बहु की पढने का मौका दिया और आज रिजल्ट सबके सामने है. प्रमिता के पिता जयप्रकाश सिंह ने कहा की शिक्षा ही सबकुछ है, यही सोच कर उन्होंने अपनी सभी बेटियों को पढ़ाया. उनकी बेटी प्रमिता ने एमबीए किया और शादी के बाद भी पढाई नहीं छोड़ी और आज इस मुकाम पर है.
मिता सिंह ने अपनी मेहनत और दृढ इच्छाशक्ति से यह जाहिर कर दिया है की परिस्थितयां कैसी भी हो सफलता हासिल की जा सकती है. और यही वजह है की लोग देश में दिवाली और धनतेरस मना कर लक्ष्मी की पूजा कर रहे है जबकि इस गाँव के लोग अपने गांव की सी बहू रूपी लक्ष्मी का स्वागत कर रहे हैं.