सिपाही भर्ती की लिखित परीक्षा के नतीजे को लेकर विवाद, धांधली का आरोप.

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सिटी पोस्ट लाइव : केंद्रीय चयन पर्षद (सीएसबीसी) ने 11880 पदों पर सिपाही भर्ती के लिए हुई लिखित परीक्षा के परिणाम घोषित कर दिये हैं. अगले चरण में शारीरिक परीक्षा के लिए पद से पांच गुना अधिक अभ्यर्थियों का चयन किया गया है. केंद्रीय चयन पर्षद के मुताबिक शारीरिक परीक्षा के लिए चयनित अभ्यर्थियों की संख्या 58264 है.लेकिन  सिपाही भर्ती (Police Recruitment) के लिए हुई लिखित परीक्षा (Written Exam) के परिणाम (Results) को लेकर विवाद पैदा हो गया है.परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों ने केंद्रीय चयन परिषद द्वारा ली गई इस परीक्षा के नतीजे पर सवाल खड़े किये हैं. गुरुवार को राज्य के विभिन्न जिलों से पटना आए अभ्यर्थियों ने एक बैठक की. और गड़बड़ी को लेकर अपने दावे के पक्ष में कथित तौर पर कई सबूत पेश किये. अभ्यर्थियों ने परिणाम में धांधली होने का आरोप लगाया.

अभ्यर्थियों की माने तो दो चरणों में परीक्षा आयोजित की गई. जिसका आंसर शीट पहले ही वायरल हो गया था. बार-बार केंद्रीय चयन परिषद को इस बाबत ध्यान दिलाने के बावजूद किसी तरह का कोई एक्शन नहीं लिया गया. अभ्यर्थियों के मुताबिक परीक्षा हॉल में मोबाइल ले जाना वर्जित था. इसके बावजूद आंसर शीट कैसे वायरल हो गया. परीक्षार्थियों ने यह भी आरोप लगाया कि सौ प्रश्नों में से केवल 25 प्रश्नों का उत्तर देने के बावजूद एक अभ्यर्थी का चयन हो गया है. और उसका आंसर शीट भी वायरल है. परीक्षार्थियों ने आंसर शीट दिखाते हुए दावा किया कि 25 प्रश्नों का उत्तर देने वाले अभ्यर्थियों का लिखित परीक्षा में चयन कैसे हो गया.

अभ्यर्थियों के अनुसार 12 जनवरी 2020 को हुई परीक्षा में भाग लेने वाले छात्रों की संख्या 6,68,000 थी. इसमें से 20,000 परीक्षार्थियों का परीक्षा फल प्रकाशित किया गया. जबकि 8 मार्च 2020 की परीक्षा में छात्रों की संख्या 5 लाख 96 हजार 641 थी. इसमें से लगभग 38,000 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया. अभ्यर्थियों का आरोप है कि 8 मार्च 2020 की परीक्षा में परीक्षार्थियों की संख्या 12 जनवरी 2020 के मुकाबले कम होने के बावजूद भी रिजल्ट आ गया. अभ्यर्थियों का यह भी आरोप है कि 12 जनवरी 2020 को सगुना मोड़ स्थित एक परीक्षा केंद्र पर दोनों पालियों में 24 परीक्षार्थी शामिल हुए, उसमें से प्रथम पाली में मात्र 26 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए, जबकि दूसरी पाली में लगभग 3 गुना यानी 71 परीक्षार्थी सफल घोषित हुए हैं.

अभ्यर्थियों का यह भी आरोप है कि इसी परीक्षा केंद्र पर 8 मार्च 2020 को कुल 24 परीक्षार्थियों में से प्रथम पाली में 59 परीक्षार्थी सफल घोषित हुए. जबकि दूसरी पाली में 93 परीक्षार्थियों का परीक्षा फल सफल अभ्यर्थी के तौर पर घोषित किया गया है. परीक्षार्थियों का आरोप है कि इससे यह स्पष्ट होता है कि 12 जनवरी 2020 को हुई परीक्षा की तुलना में 8 मार्च 2020 को परीक्षार्थियों की संख्या अधिक थी. अभ्यर्थियों की मानें तो क्यों नहीं नॉर्मल आई जेशन की प्रक्रिया अपनाकर रिजल्ट प्रकाशित किया गया. अभ्यर्थियों की मांग  है कि 11 हज़ार 880 पदों के लिए जो परीक्षाफल प्रकाशित किया गया है, उसे तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए. अभ्यर्थियों ने केंद्रीय चयन परिषद बिहार सरकार राज्य पुलिस मुख्यालय से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है.

यह पहला मौका नहीं है कि जब बिहार में किसी भी नौकरी के लिए होने वाली परीक्षा पर सवाल उठ खड़ा हुआ हो. इसके पहले भी दारोगा भर्ती परीक्षा को लेकर अभ्यर्थियों ने कई सवाल खड़े किए थे. दारोगा भर्ती परीक्षा का भी परिणाम पिछले महीने में घोषित हुआ, जिसमें हजारों अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए हैं.

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